हीरा और मोती सचे दोस्ती वे येहा बाथेन वाले कोये थेन घनाये लीकी
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हीरा-मोती भी गहरे मित्र हैं। वे इकठ्ठे खाते-पीते हैं। प्रेम-प्रदर्शन के लिए एक-दूसरे को सूंघते और चाटते हैं। खेल-खेल में एक-दूसरे को धकेलते हैं, सींग से सींग मिलाकर ठेलाठेली करते हैं। आपस में जोर-आजमाइश करते हैं। दूसरे को बिगरता देखकर स्वयं पीछे हट जाते हैं।
हीरा-मोती सच्ची मित्रता का प्रदर्शन अनेक स्थलों पर करते हैं। वे दूसरे को संकट से बचाने के लिए ख़ुद संकट सहन कर लेते हैं। इस प्रकार हीरा-मोती सच्चे मित्र हैं।
बहुत दिनों से साथ रहते-रहते हीरा और मोती में गहरी मित्रता हो गई थी। दोनों मूक भाषा में एक दूसरे के मन की बात समझ लेते थे। आपस में सीग मिलाकर ,एक दूसरे को चाट अथवा सूघंकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों एक साथ नांद में मुंह डालते। यदि एक मुंह हटा लेता था दूसरा भी हटा लेता था। हल या गाड़ी में जोत दिए जाने पर दोनों का यह प्रयास रहता था कि अधिक बोझ उसकी गर्दन पर रहे। गया के घर से दोनों मिलकर भागे थे गया के घर दोनों ही भूखे रहे थे ।सांड को दोनों ने मिलकर भगा दिया था। मटर के खेत में मोती जब कीचड़ में धंस गया था तो हीरा स्वयं ही रखवालों के पास आ गया था जिससे दोनों को एक साथ सजा मिले। कांजीहौस में मोती हीरा के बंधे होने के कारण बाड़े की दीवार टूट जाने पर भी नहीं भागा था। इन सब घटनाओं से हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है।
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