हुरड़ा सम्मेलन क्यों असफल रहा
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यह खानवा युद्ध के बाद राजपूत शासकों का अपने शत्रु के विरुद्ध पहला संयुक्त मोर्चा था परन्तु निजी स्वार्थों के कारण वहाँ कोई उपस्थित नहीं हुआ। यों तो हुरडा सम्मलेन ऐतिहासिक तो हो गया परन्तु इतिहास नही बदल सका।
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राजपूत शाशक अपने ऐश्वर्या या निजी स्वार्थ में पूरी तरह डूब चुके थे या एक अच्छा क्रियाशील नेत्रत्व न होना, इन कारण से हुरड़ा सम्मेलन सफल नहीं हो पाया।
Explanation:
- मेवाड़ राज्य की सीमा पर स्थित हुरड़ा नाम का गाँव जोकी अब वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में स्थित हैं यहाँ पर महाराणा जगतसिंह द्वितीय की अध्यक्षता में एक सम्मेलन अयोजित किया गया जिसका उद्देश्य मराठा आक्रमण को रोकना वा उनकी शक्ति पर उन्कुश लगाना था।
- ये एको राजपूत शाशको का सम्मेलन था जो कि 17 जुलाई 1734 को आयोजित किया गया।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य था की राजपूतो को मराठा शक्ति के खिलाफ एक जुट करना, आपस में एकता बनाने और एक दूसरे की मदद करना था।
- राजपूतो द्वारा हुरड़ा सम्मलेन इतहास में एक महत्यपूर्ण घटना है।
- एक अच्छे नेतृत्व की कमी और राजपूत राजाओं का अपने स्वार्थ और भोग में लिप्त होना ये कुछ प्रमुख कारण थे की ये सम्मलेन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया ।
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