हिरण , चीतल , साँभर और बारहसिंगा इन चारों के बीच में क्या अंतर है ???
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हिरण या मृग (deer) एक खुरदार रोमंथक स्तनधारी प्राणियों का समूह है जो वैज्ञानिक दृष्टि से सर्विडाए (Cervidae) नामक जीववैज्ञानिक कुल के सदस्य होते हैं। इसे दो भागों में श्रेणिकृत करा जाता है: सर्विनाए (पूर्वजगत के हिरण, जैसे की चीतल) और कैप्रिओलिनाए (रेनडियर और नवजगत के हिरण)। लगभग हर जाति के नर हिरण अपने सिर पर सींग उगाते हैं, जो हर वर्ष गिरते हैं और फिर से नए उगते हैं।
चीतल, या चीतल मृग, या चित्तिदार हिरन हिरन के कुल का एक प्राणी है, जो कि श्री लंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत में पाया जाता है। पाकिस्तान के भी कुछ इलाकों में भी बहुत कम पाया जाता है। अपनी प्रजाति का यह एकमात्र जीवित प्राणी है।
चीतल को राजस्थानी भाषा में भेंडल कहा जाता है.
साँभर (Sambhar) भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित एक नगर व नगरपालिका है। यह साँभर झील के किनारे बसा हुआ है।
बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है।
बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला। मध्य भारत में इसे गोइंजक (नर) या गाओनी (मादा) कहते हैं।
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