हॅसी भीतरी आनंद को प्रकट करने का बाहरी चिन्ह है। हँस लेना जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम
वस्तु है। एक बार खिलखिलाकर हँसना शरीर को स्वस्थ रखने की श्रेष्ठ औषधि है। पुराने लोग कह
गए है कि हँसों और पेट फुलाओ। जितना अधिक हँसोंगे, उतनी ही आयु बढ़ेगी।
एक पाश्चात्य विद्वान की पुस्तक में बताया गया है कि हँसी, उदास-से-उदास मनुष्य के चित को
प्रफुल्लित कर देती है। हँसी तो एक शक्तिशाली इंजन की तरह है। यह शोक और दुःख की दीवारों
को गिरा देती है। चित्त को प्रसन्न रखना प्राण-रक्षा का बेहतरीन उपाय है। हँसी सभी के लिए
काम की चीज़ है। हँसी कई काम करती है
पाचन शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती है और अधिक
पसीना लाती है। एक डॉक्टर के अनुसार, यह जीवन की मीठी मदिरा है। कारलाइल कहता है कि जो
जी से हँसता है, वह कभी बुरा नहीं होता। जी से हँसो तम्हें अच्छा लगेगा, अपने मित्र को हँसाओ, वह
अधिक प्रसन्न होगा, शत्रु को हँसाओ, वह तुमसे कम घृणा करेगा, अनजान को हँसाओ, वह तुम पर
भरोसा करेगा।
प्रस्तुत गद्यांश का केन्द्रीय भाव क्या हैं ? स्पष्ट कीजिए
करलाइन ने हसी को अनेक प्रकार उपयोगी सिद्ध किया है? स्पष्ट कीजिए
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हॅसी भीतरी आनंद को प्रकट करने का बाहरी चिन्ह है। हँस लेना जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम
वस्तु है। एक बार खिलखिलाकर हँसना शरीर को स्वस्थ रखने की श्रेष्ठ औषधि है। पुराने लोग कह
गए है कि हँसों और पेट फुलाओ। जितना अधिक हँसोंगे, उतनी ही आयु बढ़ेगी।
एक पाश्चात्य विद्वान की पुस्तक में बताया गया है कि हँसी, उदास-से-उदास मनुष्य के चित को
प्रफुल्लित कर देती है। हँसी तो एक शक्तिशाली इंजन की तरह है। यह शोक और दुःख की दीवारों
को गिरा देती है। चित्त को प्रसन्न रखना प्राण-रक्षा का बेहतरीन उपाय है। हँसी सभी के लिए
काम की चीज़ है। हँसी कई काम करती है
पाचन शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती है और अधिक
पसीना लाती है। एक डॉक्टर के अनुसार, यह जीवन की मीठी मदिरा है। कारलाइल कहता है कि जो
जी से हँसता है, वह कभी बुरा नहीं होता। जी से हँसो तम्हें अच्छा लगेगा, अपने मित्र को हँसाओ, वह
अधिक प्रसन्न होगा, शत्रु को हँसाओ, वह तुमसे कम घृणा करेगा, अनजान को हँसाओ, वह तुम पर
भरोसा करेगा।
प्रस्तुत गद्यांश का केन्द्रीय भाव क्या हैं ? स्पष्ट कीजिए
करलाइन ने हसी को अनेक प्रकार उपयोगी सिद्ध किया है? स्पष्ट कीजिए