Social Sciences, asked by chununhn, 5 months ago

हिंसा की क्या समस्याएं हैं जल्दी बत​

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Answered by tanishajajpura
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भूमिका

महिला हिंसा हर रोज महिलाओं को थप्पड़ों, लातों, पिटाई, अपमान, धमकियों, यौन शोषण और अनेक अन्य हिंसात्मक घटनाओं का सामना करना पड़ता है ।यहां तक कि उनके जीवन साथी या उसके परिवार के सदस्य उनकी हत्या कर देते हैं ।इन सबके बावजूद हमें इस प्रकार की हिंसा के परे में अधिक पता नहीं चलता है क्योंकि शोषित व प्रताड़ित महिलाएं इसके बारे में चर्चा करने से घबराती, डरती व झिझकती हैं ।अनेक डॉक्टर्स, नर्सें व स्वास्थ्य कर्मचारी हिंसा को एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचानने में चुक जाते हैं।

यह अध्याय महिलाओं पर घरों में होने वाली हिंसा से संबंधित है ।यह आपको यह समझने में सहायक होगा कि हिंसा क्यों होती है, इसके लिए आप क्या कर सकती हैं तथा अपने समुदाय में परिवर्तन लाने के लिए किस प्रकार कार्यरत हो सकते हैं।

कोई पुरुष महिला को चोट क्यों पहुंचता है ?

महिला को चोट पहुंचाने के लिए के पुरुष अनके बहाने दे सकता है जैसे कि-वह शराब के नशे में था ; वह अपना आपा खो बैठा या फिर वह महिला इसी लायक है ।परंतु वास्तविकता यह है कि वह हिंसा का रास्ता केवल इसलिए अपनाता है क्योंकि वह केवल इसी के माध्यम से वह सब प्राप्त कर सकता है जिन्हें वह एक मर्द होने के कारण अपना हक समझता है।

जब एक पुरुष का अपनी स्वयं की पत्नी की जिन्दगी पर काबू नहीं रहता है तो वह हिंसा का प्रयोग करके दूसरों की जिन्दगी पर नियंत्रण करने का कोशिश करता है ।अगर कोई व्यक्ति सामान्य तरीकों का प्रयोग करके अपने जीवन को नियंत्रित करने का प्रयत्न करता है तो सुमें कोई बुराई नहीं है परंतु यदि वह दूसरों के जीवन पर अपना नियंत्रण – वह भी हिंसा का प्रयोग कर के – बनाने की कोशिश करे तो वह सही नहीं है।

महिलाओं के साथ हिंसा के कारण

यहां कुछ ऐसे कारणों की चर्चा की गई है जो यह वर्णित करते हैं कि कुछ पुरुष महिलाओं को चोट क्यों पहुंचाते हैं  -

हिंसा काम करती है

किसी कमजोर व्यक्ति के साथ हिंसा में लिप्त होकर एक पुरुष अपनी कुंठाओं से मुक्ति पाने का प्रयत्न करता है।

वास्तविक परेशानी को पहचाने या कोई उसका कोई व्यवहारिक समाधान ढूंढने के बजाय, पुरुष हिंसा का सहारा लेकर असहमति को जल्दी से समाप्त करना चाहत है।

किसी पुरुष को लड़ना बेहद रोमांचक लगता है और उससे उसे नई स्फूर्ति मिलती है ।वह इस रोमांच को बार बार पाना चाहता है।

अगर कोई पुरुष हिंसा का प्रयोग करता है कि वह जीत गया है और अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करता है हिंसा की शिकार, चोट व अपमान से बचने के लिए, अगली स्थिति में, उसका विरोध करने से बचती है ।ऐसे में पुरुष को और भी शह मिलती है।

पुरुष को मर्द होने के बारे में गलत धारणा है।

अगर पुरुष यह मानता है कि मर्द होने का अर्थ है महिला के उपर पूरा नियंत्रण होना तो हो सकता है कि वह महिला के साथ हिंसा करने को भी उचित माने।

कुछ पुरुष यह समझते हैं कि मर्द होने के कारण उन्हें कुछ चीजों का हक है जैसे कि अच्छी पत्नी, बेटों की प्राप्ति, परिवार के सारे फैसले करने का हक।

पुरुष के लगता है कि महिला उसकी है या उसे वह चाहिए।

यदि महिला सशक्त है तो पुरुष को यह  लग सकता है कि वह उसे खो देगा या महिला को उसकी जरुरत नहीं है ।वह कुछ ऐसे कार्य करगे जिससे महिला उस पर अधिक निर्भर हो जाए।

उसे अन्य किसी और तरीके के व्यवहार करना आता ही नहीं है (सामाजिक  अनुकूलन)

अगर पुरुष ने अपने पिता या अन्य लोगों के तनाव व परशानी की स्थिति में

हिंसा का सहारा लेते हुए देखा है तो केवल ऐसा व्यवहार करना ही सही लगता है ।उसे कोई अन्य व्यवहार करना ही सही लगता है ।उसे कोई अन्य व्यवहार का पता ही नहीं है।

हिंसा के प्रकार

एक पुरुष किसी महिला पर अनके तरीकों से नियंत्रण करने की कोशिश करता है ।मार-पिटाई उनमें से केवल एक तरीका है ।ये सभी तरीके महिला को चोट पहुंचा सकते हैं।

कल्पना कीजिए कि नीचे बनाया हुआ चक्र एक पहिया है ।शक्ति व नियंत्रण इस पहिये के केंद्र में हैं क्योंकि ये सभी कार्य कलापों की जड़ें हैं ।पहिये का हर भाग एक व्यवहार को दर्शाता है जिसका प्रयोग एक हिंसक पुरुष एक महिला को नियंत्रित करने के लिए करता है ।हिंसा इस पहिये की परिधि (रिम ) है जो एक साथ रखती है और उसे शक्ति प्रदान करती है।

एक प्रकार की प्रताड़ना आमतौर पर, दुसरे प्रकार में बदल जाती है

अनेक मामलों में मौखिक शाब्दिक प्रताड़ना थोड़े समय के बाद शारीरिक प्रताड़ना में बदल जाती है इसकी शुरुआत पत्नी द्वारा पर्याप्त दहेज है लाने से शुरू होकर यह एक शाब्दिक प्रताड़ना, फिर हिंसा, शारीरिक हिंसा में बदल जाती है ।उसे त्योहारों, उत्सवों तथा बिमारियों जैसे अवसरों पर अपने मायके जाने की इजाजत भी नहीं दी जाती है ।इस प्रकार का घुटन वाला व्यवहार, शारीरिक पिटाई से भी अधिक दर्दनाक बन जाता है।

खतरे के चिन्ह

जब गली-गलौच वाला संबंध हिंसक बन जाता है, तो उसे छोड़ना और भी कठिन हो जाता है ।जितने लंबे समय तक महिला ऐसे संबंध में रहती है, पुरुष का उस पर उतना ही नियंत्रण बढ़ता जाता है उसका आत्मविश्वास समाप्त होता जाता है ।कुछ पुरुषों की अन्य पुरुषों की तुलना में अधिक हिंसक हो जाएगा ।अगर आप इन लक्षणों को देखते हैं और अगर आपके पास इन संबंध से छुटकारा पाना संभव है तो ध्यान से सोचिए।

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