हँसी सब को भली लगती है। अपनी मित्र मंडली में हँसी विशेषकर प्रिय लगती है। हँसी, केवल
ऊंची आवाज करके दाँत दिखाने का नाम नहीं। बल्कि हँसी मन की प्रसनता का नाम है। प्रसन्न लोग कोई
बुरी बात नहीं करते। हँसी, बैर और बदनामी की शत्रु है और अच्छाई और भलाई की सहेली है। यह
स्वभाव को अच्छा बनाती है। बुद्धि को निर्मल करती है। असल में खुशी का नाम ही हँसी है। किसी
निराश को हँसाओ तो उसकी आशा बढ़ती है। बूढे को हँसाओ तो वह स्वयं को कमजोर नहीं समझेगा।
बालक को खुश रखो तो वह एक स्वस्थ व हसमुख मनुष्य बनेगा। भले ही हमें बहुत सारे काम करने हैं
फिर भी उन कामों में, कष्टों और चिंताओं में भगवान ने हमें हँसी का तोहफा दिया है। अत: खुश
और दूसरों में भी खुशियाँ बीटी।
(क) हैसी के श और मिा कौन है? गद्यांश को पढ़ कर उत्तर लिखिए?
(ख) गद्यांश के अनुसार हँसी के क्या-क्या लाभ हैं?
(ग) असल में हैसी किसे कहते है?
(घ) क्या आपने कभी किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कोई काम किया है? कब?
उदाहरण सहित लिखिए।
(3) गद्यांश को उचित शीर्षक (नाम) दीजिए।
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Hasi Ke Bahut Sate labh H Gadhayans Se Bhi Or Other Se Bhi Bina Hasi Bala Manushay apki Life M China Or Presani M Bahut Dubla Ho Jata H Or Kuchh Time M Hi Mar Jata H
Ashal M Hasi Usi Ko kahte h Jo Dil Se Utapnn Hoti h
Ha M Karta Rahta Hu Jab Bhi Mujhe Moka Milta h Use Karne Ke Bad Dil Ko sukun Milta h ☺️☺️☺️
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