हास्य रस का एक उदाहरण दिजिए
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हास्य रस का उदाहरण...
➲ सिक्के यूं मत फेंकिए , प्रभु पर ही यजमान।
बड़ा सा नोट चढ़ाइए तब होगा कल्यान।।
व्याख्या ⦂
✎... हास्य रस की परिभाषा के अनुसार ‘जब दूसरों की चेष्टा को देखकर या उसके अनुकरण करने से जो हास्य से उत्पन्न होता है अथवा किसी वस्तु, व्यक्ति के विकृत आकार, वेशभूषा, वाणी, चेष्टा आदि से व्यक्ति को बरबस हंसी आ जाए तो वहां का हास्य रस की उत्पत्ति होती है।’
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हास्य रस का एक उदाहरण दिजिए
हास्य रस का उदाहरण...
माताहिं पिताहिं उऋण भए नीके ।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के ।।
इन पंक्तियों में हास्य रस हास्य रस प्रकट हो रहा है। हास्य रस का स्थाई भाव हास है। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की वेशभूषा, उसकी वाणी या उसकी चेष्टा में आई किसी भी विकृति या अनोखी बात को देखकर सहज रूप से हंसी आ जाए। तब वहां पर हास्य रस प्रकट होता है।
व्याख्या :
उपरोक्त पंक्तियों में उपरोक्त पंक्तियां लक्ष्मण परशुराम संवाद से संबंधित हैं, जब लक्ष्मण परशुराम की क्रोध भरी बातों का जवाब हास्य की शैली में देकर उन पर कटाक्ष कर रहे है।