हास्य रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण भी लिखिए।
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परिभाषा
जहाँ पर किसी विचित्र स्थितियों या परिस्थितियों के कारण हास्य की उत्पत्ति होती है उसे हास्य रस कहा जाता है । इसका स्थायी भाव हास होता हैं । इसके अन्तर्गत वाणी वेशभूषा, आदि की विकृति को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है, इसे ही हास्य रस कहा जाता है ।
उदाहरण
कथा सुनि भे मुनिवृन्द सुखारे। तं च क्रौंचपते: शिखी च गिरिजा सिंहोऽपिनागानर्न। निविं्वष्ण: स पयौ कुटुम्बकलहादीशोऽपिहालाहलम्।। चौंकि परो पितुलोक में बाप, सो आपके देखि सराध के पेरे।।
आशा है कि यह उत्तर आपके प्रयोग मे होगा।
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