हँसकर जीना ही दस्तूर है ज़िंदगी का, एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का, बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते, यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का
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तमाम उम्र का हासिल है ये उम्मीद का खजाना, खुद पर भरोसा रख, भरता है उम्मीद का खजाना, सब कुछ मिट सकता है यहां कयामत के मंजर में, रौशन सदा रहता है, तो बस ये उम्मीद का खजाना।
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