Math, asked by tanwarseema105, 7 months ago

हिसराय जीपन सुख-दुख की एक
कवि ने क्या कहा है।​

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Answered by drishtisingh156
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सुमेरपुर - सैरा करौ स्नान, पानी वाणी ईधणी दूध लीजे छाण.. अर्थात व्यक्ति को सवेरे सूर्योदय से पूर्व स्नान कर भगवान की आरती व हवन कर कार्य का शुभारंभ करना चाहिए। यह उदगार दातीवाड़ा गौरक्षनाथ आश्रम के महंत नरेश नाथ महाराज ने गुरुवार को प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस घर में हमेशा यज्ञ व हवन होता है, उस घर में संस्कार व नव वातावरण का निर्माण होता है। शिक्षा के साथ संस्कार भी जीवन का जरूरी हिस्सा है। नरेश नाथ महाराज ने कहा कि आज कल युवा में शिक्षा तो है परन्तु संस्कार सही नहीं होने से वह भटक रहे हैं। समाजसेवी रमेश मड़वा की ओर से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए महंत ने कहा कि मनुष्य को हमेशा पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। जीवन में दु:ख व संकट आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में अगर सु:ख होगा तो वह दु:ख के समय में उसका सामना नहीं कर पाएगा। मनुष्य के जीवन में सुख-दुख धूप-छांव की तरह हैं। इस मौके पर रमेश परमार छावणी, रमेश, मांगीलाल परमार, चम्पालाल छावणी, कैलाश,

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Answered by vaibhavshinde145
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Step-by-step explanation:

सुमेरपुर - सैरा करौ स्नान, पानी वाणी ईधणी दूध लीजे छाण.. अर्थात व्यक्ति को सवेरे सूर्योदय से पूर्व स्नान कर भगवान की आरती व हवन कर कार्य का शुभारंभ करना चाहिए। यह उदगार दातीवाड़ा गौरक्षनाथ आश्रम के महंत नरेश नाथ महाराज ने गुरुवार को प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस घर में हमेशा यज्ञ व हवन होता है, उस घर में संस्कार व नव वातावरण का निर्माण होता है। शिक्षा के साथ संस्कार भी जीवन का जरूरी हिस्सा है। नरेश नाथ महाराज ने कहा कि आज कल युवा में शिक्षा तो है परन्तु संस्कार सही नहीं होने से वह भटक रहे हैं। समाजसेवी रमेश मड़वा की ओर से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए महंत ने कहा कि मनुष्य को हमेशा पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। जीवन में दु:ख व संकट आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में अगर सु:ख होगा तो वह दु:ख के समय में उसका सामना नहीं कर पाएगा। मनुष्य के जीवन में सुख-दुख धूप-छांव की तरह हैं। इस मौके पर रमेश परमार छावणी, रमेश, मांगीलाल परमार, चम्पालाल छावणी, कैलाश,

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