(६) हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है' पंक्ति से प्रकट होने वाला भाव लिखिए।
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हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है'
भाव...
राष्ट्रकवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ द्वारा रचित कविता ‘मातृभूमि’ की इन पंक्तियों में कवि का भाव यह है कि यह मातृभूमि सभी के लिए शरणदायिनी होती है अर्थात समस्त प्राणी इसी मातृभूमि में शरण लेते हैं, अपना आवास बनाते हैं, इसलिए मातृभूमि हमारे लिए शरण स्थली है। इसी मातृभूमि में शरण लेकर हम अन्न पैदा करते हैं, अपना जीवन यापन करते हैं, अपना विकास करते है, ये मातृभूमि ही हमारे लिये शरणस्थली है, हमारी माँ है, विभवशालिनी है, विश्वपालिनी है।
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