हाताह
सच्चा मित्र या कपटी मित्र?
2. 'गुन प्रकटै अवगुनन्हि दुरावा' का भाव स्पष्ट कीजिए।
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कुपथ निवारि सुपंथ चलावा,गुन प्रकटै अवगुनन्हि दुरावा"
यह पंक्ति 'मानस' में भगवान राम ने,सुग्रीव जी को मित्र के अर्थ समझाने हेतु कही है । इसका अर्थ यह है कि मित्र वह है जो आपको कुपथ (कुमार्ग) से हटाकर,सुपंथ (सुमार्ग) पर चलावे और आपके अवगुणों को छिपाकर,आपके गुणों को प्रकट करे या प्रकाशित करे ।
जो परोक्ष रूप से एक सच्चे दोस्त का मतलब है
उम्मीद है की यह मदद करेगा
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