Hindi, asked by niralisanghvi07, 5 hours ago

हिंदी ऐसे ऑन संयुक्त परिवार के किसी ऐसे आनंद उत्सव का वर्णन कीजिए जिसमें पूरा परिवार बड़े लोग बड़े बुजुर्ग भी भाग ले सकते हैं ​

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तो ये कुंडली की बात है  ग्रहों के संयोग है , पर अर्थ मुझे  एक समझ आया , पितर और उनके दोष दो भागों में है एक अच्छे पितर  और एक वासनालिप्त पितर ,  आप और हम अपने को भी रख सकते है उनकी जगह पे , ज्यादा दूर भविष्य नहीं।

       सात देहो के अस्तित्व  को ध्यान में रखे तो इक्छाओ की भी सूक्ष्म  देह है जो पूरी भी है और अधूरी भी  पर वासनायुक्त है।  ऐसे में  ऐसी देह के साथ जब बुजुर्ग विदा लेते है  तो अक्सर  उनके आकर्षण उन्हें वापिस खींच के लाते है , अब देह नहीं है पर ऊर्जा के अन्यरूप अभी भी सूक्ष्म देहों में कैद है , ऊर्जा स्वतंत्र नहीं।  ऐसे में  किसी विशेष गृह के किसी विशेष कोण पे  ऐसी ऊर्जाओं को वेग मिलता है, सब  कुछ  तरंग  में है तत्व पे केवल प्रभाव दिखेंगे।  तो जो जीवित उन्हें कुछ रहस्मयी   स्थति   लग  सकती  है, क्यूंकि अब इन्द्रियों की पकड़ से बाहर की बात है , और ज्यादा  कुछ  पता नहीं है।  

     बहरहाल इसको समझना  अधिक कठिन नहीं , अधोगति  और उच्च गति  में अधोगति भी मोह में बंधे होते है  और उच्च गति भी  मोह में बंधे , अधोगति को क्रोध  आसानी से आता है  क्यूंकि  ये उनके अभ्यास में है  इनके अनुसार घर का काम न हो , आचरण न हो , तो  आवेश में आ के कष्ट दे सकते है।  जीवन में भी यही करते थे  सो मर के भी यही कर सकते है , उच्च गति वाले  आसानी से क्रोध में नहीं आते , पर  उनके प्रिय को  कष्ट हो तो क्रोध आ सकता  है , मंगल कार्य में  मान  न मिले  तो कष्ट हो सकता है , बिलकुल जीवित जैसा भाव रखते है।  अधिक उच्च है तो फिर इन देहों में ही नहीं है।  फ़िलहाल पुरखे अगर  इन सात में से किसी भी देह में  है तो प्रभाव डाल सकते है। यहाँ तक कहते है  पूर्वज नाराज है तो आपके किसी काम को सफल नहीं होने देंगे  यहाँ तक पूजा भी असफल  कर देंगे , माने आध्यात्मिक उन्नति तो बिलकुल भूल ही जाईये।

       इनको ही  मनाने के अनेक उपाय है ,  इनका आशीष  लेना मार्ग को आसान करता है , तो क्या रीतिरिवाजों में फंस जाएँ !  न न , सिर्फ भाव दे  और शुद्ध भाव दें , शुद्ध भाव का आचरण गलत हो ही नहीं सकता। फिर कोई क्यों नाराज होगा ! आप जब गलत कर ही नहीं रहे  तो सब अच्छा ही हो रहा है।

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