हाथी बैठा था। इसका संस्कृत में अनुवाद क्या होगा?
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एक भाषा की किसी पंक्ति को किसी अन्य भाषा में परिवर्तित करना ही अनुवाद कहलाता है। जैसे—यदि हम संस्कृत के किसी वाक्य को हिन्दी में परिवर्तित करते हैं तो यह ‘संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद’ कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार यदि हम हिन्दी के किसी वाक्य को संस्कृत में परिवर्तित करते हैं तो यही ‘हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद’ कहा जाता है।
हिन्दी भाषा के वाक्यों को संस्कृत भाषा में परिवर्तित करने के लिए निश्चित नियम हैं। उन नियमों के अनुसार हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद ठीक प्रकार से किया जा सकता है। वे नियम या बातें निम्न प्रकार हैं।
हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए संस्कृत व्याकरण के इन नियमों को भली-भाँति समझना आवश्यक है
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8
Explanation:
बालक विद्यालय जाता है।
बालकः विद्यालयं गच्छति।
2. झरने से अमृत को मथता है।
सागरं सुधां मथ्नाति।
3. राम के सौ रुपये चुराता है।
रामं शतं मुष्णाति।
4. राजा से क्षमा माँगता है।
नृपं क्षमां याचते।
5. सज्जन पाप से घृणा करता है।
सज्जनः पापाद् जुगुप्सते।
6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है।
विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते।
7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ।
अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि।
8. बालिका जा रही है।
बालिका गच्छन्ती अस्ति।
9. यह रमेश की पुस्तक है।
इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति।
10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है।
बालकाय मोदकं रोचते।
11. माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है।
पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः।