हिंदी भाषा का महत्व
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हिंदी भाषा विश्व की तीसरी और भारत में यह सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा को हम सभी समझते हैं, जानते हैं और बोलते हैं। बड़ी प्यारी सी सरल भाषा है हिंदी। किसी न किसी रूप में इसका हम उपयोग जरूर करते हैं। हम अपने विद्यालय में, अपने दोस्तों से खेल के मैदान पर हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। हम कोई वस्तु खरीदने जाते हैं जैसे फूल-सब्जी या अन्य कोई सामान तो हम दुकानदार से हिंदी में ही बात करते हैं।
हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वह आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है।
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है|
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
हिंदी भाषा विश्व की तीसरी और भारत में यह सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा को हम सभी समझते हैं, जानते हैं और बोलते हैं। बड़ी प्यारी सी सरल भाषा है हिंदी। किसी न किसी रूप में इसका हम उपयोग जरूर करते हैं। हम अपने विद्यालय में, अपने दोस्तों से खेल के मैदान पर हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। हम कोई वस्तु खरीदने जाते हैं जैसे फूल-सब्जी या अन्य कोई सामान तो हम दुकानदार से हिंदी में ही बात करते हैं।
हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वह आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है।
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है|
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
अर्थ –
निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति सम्भव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है, और मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण सम्भव नहीं है। हमे विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिए, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिए।
हिंदी भाषा का इतना अधिक महत्व है कि बिना हिंदी को इन्टरनेट से जोड़े लोगो को इन्टरनेट से नही जोड़ सकते है और जब कोई भी काम अपनी भाषा में हो तो यह लोगो को जल्दी समझ में आती है इसी कारण अब इन्टरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा के रूप में अपना लिया है जिससे हर भारतीय अब आसानी से इन्टरनेट से जुड़ सकता है।
सही अर्थो में कहा जाए तो अगर हम अपनी मूलभाषा हिंदी का प्रचार- प्रसार करे तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपनी हिंदी भाषा के माध्यम से एकता मे जोड़ा सकता है।
हिंदी के महत्व को देखते हुए प्रत्येक 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाधा जा सकता है।
अंत में हिंदी की अध्यापिका होने के नाते मैं यही कहना चाहूँगी कि –
मधुर,मधुर मनोहारी है।
हिंदी भाषा प्यारी है॥
अद्भुत शान हमारी है।
अपनी हिंदी प्यारी है॥
तो आईये हम सब लोगो को अधिक से अधिक हिंदी भाषा के महत्व को समझाए और पूरे विश्व में हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाये और खुद एक हिन्दीभाषी बने।