हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या अभिप्राय है
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¿ हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या अभिप्राय है ?
✎... हिंदी भाषा में शुद्धतावादी होने का तात्पर्य ऐसी भाषा से है, जिसमें विदेशी भाषाओं जैसे अरबी, फारसी, अंग्रेजी आदि गैर-हिंदी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग ना होता हो तथा हिंदी और उसकी उप-भाषाओं तथा बोलियों के शब्दों को प्रधानता दी जाती हो।
चूँकि हिंदी का जन्म ही संस्कृत भाषा से हुआ है इसलिए हिंदी के शुद्धतावादी रूप में संस्कृत के शब्दों को प्रधानता दी जाती है। संस्कृतनिष्ठ हिंदी को शुद्ध हिंदी कहा जाता है।
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