हिंदी भाषा की विकास यात्रा को अपने शब्दों में समझाइए
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Explanation:
हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्य' रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था 'अवहट्ट' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।
साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे दोहा रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं। राजाश्रित कवि और चारण नीति, शृंगार, शौर्य, पराक्रम आदि के वर्णन से अपनी साहित्य-रुचि का परिचय दिया करते थे। यह रचना-परम्परा आगे चलकर शौरसेनी अपभ्रंश या प्राकृताभास हिन्दी में कई वर्षों तक चलती रही। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़ता गया। इस भाषा को विद्यापति ने 'देसी भाषा' कहा है, किन्तु यह निर्णय करना सरल नहीं है कि 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग इस भाषा के लिए कब और किस देश में प्रारम्भ हुआ। हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि प्रारम्भ में 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग विदेशी मुसलमानों ने किया था। इस शब्द से उनका तात्पर्य 'भारतीय भाषा' का था।
हिंदी भाषा की विकास यात्रा...
हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है। यह भारत की केंद्र सरकार की आधिकारिक राजकीय भाषा है तथा भारत के अनेक राज्यों की भी आधिकारिक राजभाषा है। हिंदी भारत की सबसे अधिक संख्या में बोली जाने वाली भाषा है। 2001 की जनगणना के अनुसार 25 करोड़ स ज्यादा भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं और पूरे विश्व में लगभग 50 करोड़ लोग हिंदी भाषा को अच्छी तरीके से बोल और समझ लेते हैं।
हिंदी भाषा के इतिहास पर अगर दृष्टि डालें तो हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है। आज के समय में जो हिंदी प्रचलित है, वो आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक हैष आधुनिक आर्य भाषाएं प्राचीनतम संस्कृत भाषा से निकली हैं। हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति भी संस्कृत से हुई है।
हिंदी का विकास क्रमिक रूप से हुआ है। हिंदी की उत्पत्ति 1000 ईस्वी के आसपास मानी जाती है। प्राचीनतम समय जब संस्कृत का महत्व कम होने लगा तो पाली भाषा आम बोलचाल की भाषा के रूप में विकसित हुई। महात्मा बुद्ध के समय में पाली भाषा ही जनमानस की भाषा थी और उनके अधिकतर उपदेश पाली भाषा में हैं। पाली का प्रभाव कम होने पर यह भाषा नए रूप में परिवर्तित हुई और तब यह प्राकृत भाषा कहलाई। प्राकृत भाषा से आगे चलकर अनेक अपभ्रंश भाषा उत्पन्न हुई और हिंदी उन्हीं में से एक भाषा थी।
पाली, प्राकृत और अपभ्रंस इस सबका समय काल 500 ई्स्वी पूर्व से 1000 ई्स्वी तक माना जाता है। हिंदी भाषा का उत्पत्ति काल अनुमानतः 1000 ईस्वी के आसपास का माना जाता है।
हिंदी भाषा के विकास क्रम को हम इस तरह समझ सकते हैं.....
हिंदी भाषा की जननी संस्कृत भाषा है। संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत और प्राकृत से अपभ्रंश हिंदी भाषा का क्रमिक विकास होता है। फिर अपभ्रंश से अवहट्ट से तक विकसित होकर हिंदी का प्रारम्भिक रूप आकार लेता है। सामान्यतः, हिंदी भाषा के इतिहास का आरम्भ अपभ्रंश से माना जाता है।
हिंदी का विकास क्रम...
संस्कृत ► पालि ► प्राकृत ► अपभ्रंश ► अवहट्ट ► प्रारम्भिक हिंदी ► आधुनिक हिंदी
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