हिंदी भाषा में स्वर के कितने भेद होते हैं।
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स्वर वे ध्वनियां है जिनके उच्चारण में हवा फेफड़ों से उठकर निर्बाध रुप से मुँह व नाक के द्वारा निकल जाती है।अर्थात जीभ या होंठ परस्पर कहीं स्पर्श नहीं करते और वायु से कहीं घर्षण नहीं होता।
हिन्दी में अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ,10स्वर है।ऋ को शुद्ध स्वर नहीं माना जाता क्योंकि इसका उच्चारण हिन्दी में रि र्+इ अर्थात र् व्यंजन व इ स्वर का रूप है इसलिए अर्द्ध स्वर की संज्ञा दी जाती है।
संस्कृत से आये तत्सम शब्दों ऋषि, कृपा, पृथ्वी मे इसका प्रयोग होता है।
उच्चारण की दृष्टि स्वर दो प्रकार के होते है ह्रृस्व व दीर्घ।
अ,इ,उ हृस्व व आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ,दीर्घ स्वर है।
स्वर के उच्चारण मे वायु यदि मुँह के साथ. नाक से भी निकल जाये तो उसे अनुनासिक स्वर कहा जाता हैं।ऐसे शब्दों मे चन्द्र बिन्दु का उपयोग होता है।अँधेरा, ईँधन आदि।
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