हिंदी एकांकी का जनक किसे माना जाता है
Answers
Answer:
हिंदी एकांकी के जनक थे भुवनेश्वर
Explanation:
विश्व के रहे हैं पहले असंगत नाटककार
- सर्वाधिक चर्चित कहानी रही है भेड़िए
उमेश शर्मा
शाहजहांपुर। शहर निवासी भुवनेश्वर का नाम हिंदी साहित्य में शीर्ष पर है। वह हिंदी एकांकी के जनक हैं। इसके साथ ही विश्व के पहले असंगत नाटककार हैं। यहां दो जून 1991 को भुवनेश्वर प्रसाद शोध संस्थान की स्थापना हुई। कल 20 जून 2012 को उनकी जन्म शती मनाई जा रही है। डॉ. वीरेन डंगवाल के निर्देशन में भुवनेश्वर पर पीएचडी करने वाले संस्थान के संस्थापक महासचिव डॉ. राजकुमार शर्मा पहले व्यक्ति हैं। भुवनेश्वर का जन्म 20 जून 1912 को हुआ था।
डॉ. शर्मा का कहना है कि भुवनेश्वर 1933 में लखनऊ और कानपुर अपने मित्रों के साथ पढ़ने चले गए। इस बीच वह शाहजहांपुर आते-जाते रहे। नाटकों के अलावा उन्होंने और भी बहुत कुछ लिखा। भेड़िये उनकी सर्वाधिक चर्चित कहानी रही है। यहां चौक में उनका मकान रहा है। दरअसल डॉ. शर्मा को भुवनेश्वर प्रसाद शोध संस्थान स्थापना की प्रेरणा कथाकार गोपाल उपाध्याय से मिली। जिनसे उनकी मुलाकात 1988 में लखनऊ में हुई थी, तभी से डॉ. शर्मा ने भुवनेश्वर पर पूरी खोजबीन शुरू कर दी। भुवनेेश्वर प्रसाद शोध संस्थान साहित्य, रंगमंच, कला और संस्कृति के उत्थान, सर्वेक्षण, प्रलेखन, अध्ययन और अनुसंधान के लिए स्थापित किया गया है।
Answer: हिंदी एकांकी के जनक भुवनेश्वर थे |
Explanation:
भुवनेश्वर हिंदी एकांकी के जनक हैं। भुवनेश्वर का जन्म 20 जून 1912 को हुआ । वह विश्व के पहले असंगत नाटककार हैं | नाटकों के अलावा उन्होंने बहुत कुछ लिखा।
"भेड़िये" उनकी सबसे लोकप्रिय कहानी रही है।। 1991 से पहले भुवनेश्वर पर बहुत अधिक सामग्री नहीं थी। उनके विषय में पूरी जानकारी तक उपलब्ध नहीं थी। शोध संस्थान की भारी मशक्कत के बाद उन पर चार कृतियां आईं।