हिंदी गद्य विधाओं का स्वरूप एवं उनकी प्रवृत्तियां बताइए
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इसमें से पहला वर्ग प्रमुख विधाओं का है जिसमें नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी, निबंध, और आलोचना को रखा जा सकता है। दूसरा वर्ग गौण या प्रकीर्ण गद्य विधाओं का है। इसके अंतर्गत जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत, गद्य काव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेंटवार्ता, पत्र साहित्य, आदि का उल्लेख किया जा सकता है|
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा❤
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निजी जीवन में पत्र, डायरी आदि साहित्य में कहानी, उपन्यास, निबन्ध, नाटक, जीवनी आदि लेखन का माध्यम गद्य ही होता है। गद्य का क्रमिक विकास हिन्दी के आधुनिक काल के आरम्भ से हुआ। गद्य का प्रयोग व्याख्या, तर्क, वर्णन एवं कथा के लिए होता है। गद्य में किसी कथ्य को सहजता से, सरलता से एवं स्पष्टता से व्याख्या करने की क्षमता है।
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