. हाथ की गति जिसमें अंगूठा पांचवीं अंगुली
को छूता है, कहलाती है
(A) डॉर्सी फ्लेक्शन
(B) प्लान्टर फ्लेक्शन
(C) ऑपोजीशन
(D) प्रोनेशन
Answers
Answer:
अगूठा मानव स्वभाव और उसकी मानसिक भावनाओं के समझने में उतना ही उपयोगी है जितनी मुहँ के लिए नाक। महाभारत में प्रसिद्ध है कि अर्जुन की अलौकिक प्रतिष्ठा की सुरक्षा के लिए गुरूदेव द्रोणाचार्य को अपने एकलव्य नामक शिष्य से गुरूदक्षिणा में मानसिक शक्ति का प्रेरक तथा इच्छा, विचार और प्रेम- तीनों का आश्रयभाग अंगुष्ठ मांगना पढ़ा था। इसी से सिद्ध होता है कि वास्तव में हाथ में अंगूठा कितना उपयोगी है। इसके द्वारा हमें मनुष्य की मानसिक शक्ति या उसकी निर्बलता का विशेष पता चल जाता है। नवजात बालक जब तक अपनी इच्छाशक्ति का उपयोग करने योग्य नहीं होता तब तक वह अपना अंगूठा अंगुलियों से मुðी में छिपाये रखता है। जैसे-जैसे उसकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है वैसे ही वैसे वह उसे अंगुलियों के बाहर रखने और मुँह में लेने लगता है।
प्रायः बहुत से बालक पैर का अंगूठा सदैव मुँह में डाला करते हैं। तब हम व्यवहार में कहा भी करते हैं कि बड़ा पराक्रमी और भाग्यवान् होगा। इससे अंगूठे का महत्व स्पष्ट है। मिर्गी के रोगी को जब दौरे का आक्रमण होता है तब वह अपनी मुðी को बन्द करते समय अंगूठे को भीतर छिपा लेता है। इसी प्रकार जब कोई तार्किक, किसी विषय का विचार या निर्णय करने लगता है तब प्रायः वह सर्व अंगुलियों को भीतर दबाकर सर्वोपरि अंगूठा रखता है। यह मनुष्य की आन्तरिक विचारशक्ति की उद्बुद्धता-अनुद्बुद्धता की जाग्रत सूचिका-पट्टिका
ही है। कारण, विचार के समय जहाँ उसका अंगूठा ऊपर रहता है वहीं क्रोध के समय विचारशक्ति नष्ट हाने पर वह मुðी में बन्द रहता है- क्रुद्ध होने पर लोग प्रायः मुðी बांध लेते हैं। अंगूठा मानवीय अंतःकरण में स्थित इच्छाशक्ति और निग्रहशक्ति का द्योतक है। इनका जबतक शरीर या मन पर अधिकार रहेगा, अंगूठा कभी अन्य अंगुलियों के भीतर दब या छिपकर न रहेगा। और इस लिए कहावत प्रसिद्ध है ‘उसने उसे अंगूठा दिखा दिया।’ अर्थात् वह उससे फँसा या उसके धोखे में नहीं आया।
इसी तरह जब कभी शांति और आनन्द से स्त्री-बच्चों के साथ बैठने पर दो बालकों में किसी एक को पराजित कराना हो तो आपके मुँह से यही वाक्य बालक को आदेश के रूप में मिलता है कि ‘‘नाना अपनी बहिन को सिटिया (अंगूठा) तो बता दे’’ स्वयं प्रेम में आकर भी हम बच्चों से हास्यविनोद अंगूठा बताकर ही करते हैं।
किसी बात की स्वीकृति के लिए उसके साक्षर न होने पर अंगूठा ही कराया जाता है। अंगूठे की छाप से मनुष्य के स्वभाव और आचरण का पता चलता है। इसी कारण पुलिसविभाग में इसका बड़ा महत्व है।
Answer:
(c) is the correct answer