हिंदी के प्रमुख रचनाकार और उनके पुस्तकें बताईते|
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हिंदी भाषा देवानागरी संस्कृत से जनित है| कविता की परम्परा बहुत लम्बी है। चरित्र के अनुसार सरहपाद को हिन्दी का पहला कवि मानते हैं।धीरे-धीरे हिन्दी में परिष्कार होता रहा और आरंभ भाषा से लुप्त हो कर आधुनिक भाषा आ पहुंची|हिंदी के प्रथम कवि – सरहपाद नवीं शताब्दी है|हिंदी की प्रथम रचना – श्रावकाचार देवसेन मानी जाती है|हिंदी की प्रथम मौलिक नाटक – नहुष गोपाल चंद् से लिखा गया है| हिंदी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु श्रीनिवास दासजी का है|हिंदी की प्रथम आत्मकथा – अर्धकथानक बनारसीदास जैन ने लिखा है|
भारत हमेशा से ही रचनाकारों का घर रहा है। यहां के लेखक, कलाकार, कवि, मूर्तिकार, गीतकार आदि लोगों ने ही तो यहाँ की संस्कृति और इतिहास को आज तक अपनी रचनाओं द्वारा जीवित रखा है।
कविता की बात होती है तो तुरंत हमारे जहन में रबिंद्रनाथ टैगोर, सुमित्रानंदन पंत जैसे महान कवियों के नाम आ जाते हैं।
हिंदी साहित्य में कबीर को प्रमुख स्थान दिय अहै|कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं।महान कवि तुलसीदास की प्रतिभा केवल हिन्दू समाज और भारत, ही नहीं बल्कि समस्त संसार प्रचलित हो रहा है । इनका राम चरित मानस लोक प्रसिद्द है|सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। रैदास कबीर के समकालीन हैं।
मध्ययुगीन साधकों में रैदास का विशिष्ट स्थान है। कबीर की तरह रैदास भी संत कोटि के प्रमुख कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं।कृष्णभक्ति शाखा की हिंदी की महान कवयित्री मीराबाई थी| प्रमुख कवी वृन्द कृष्णगढ़ के महाराज मानसिंह ने इन्हें अपना दरबारी बनाकर सम्मानित किया। वे आजीवन वहीं रहे।
भूषण रीतिकाल के एकमात्र कवि हैं, जिन्होंने श्रृंगार रस से हटकर वीरता और देशप्रेम के वर्णन से कविता को गौरव प्रदान किया।इनके प्रसिध्द ग्रंथ हैं- 'शिवराज भूषण, 'शिवा बावनी तथा 'छत्रसाल-दशक, जिनमें वीर, रौद्र, भयानक और वीभत्स रसों का प्रभावशाली चित्रण है। भारत की साहित्य दुनिया में कई काबिल और महान कवयित्रियाँ भी रहीं हैं जिनकी कविताओं ने पाठकों के दिलों में जगह बनाई है।
कमला सुरैया: कमला सुरैया को माधवी दास और कमला दास के नाम से भी जाना जाता है। “समर इन कैलकटा” और “द डिसेंडेंट्स” उनकी सबसेलोकप्रिय कविता संग्रह में से हैं।
सरोजिनी नायडू: नाइटिंगेल ऑफ इंडिया- सरोजिनी नायडू, स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ प्रतिष्ठित कवि भी थीं। “अ गोल्डेन थ्रेशोल्ड” और “ द फेदर ऑफ डॉन” उनकी चर्चित किताबों में से हैं।
महादेवी वर्मा: महादेवी वर्मा छायावादी युग के चार प्रमुख कवियों में से एक थीं।
बालमणि अम्मा: इन्होने साहित्य अकादमी फेलोशिप समेत कई पुरस्कार जीते थे। उनकी दो प्रसिद्ध रचनाएँ “अम्मा मुथास्सी” और “मज़्हुविन्ते कथा” है।
मीरा बाई: ये भक्तिकाल की सबसे चर्चित कवयित्री हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान: “वीरोंका कैसा हो बसंत” इनकी लोकप्रिय रचनाओं में से एक है|इनकी कविता “झाँसी की रानी” बच्चे-बच्चे को मुँहजबानी याद रहती है।
नन्दिनी साहू: नन्दिनी साहू भारत की जानी मानी कवयित्री, लेखिका और आलोचक हैं। “द अदर वॉयस” और “द साइलेंस” उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
अमृता प्रीतम: ये बीसवीं सदी की सबसे लोकप्रिय पंजाबी कवयित्री थीं|इनकी लोकप्रिय रचनाएँ “आज आखाँ वारिस शाह नू” और “पिंजर” है।
इनके अलावा हिंदी में और भी जाने माने आधिनिक लेखक है|मैथिलि शरण गुप्त,हरिऔध जी,सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी,मुंशी प्रेमचंद,सुभद्रा कुमारी,माखनलाल चतुर्वेदी,कमलेश्वर,हरिवंशराय बच्हन,सोहनलाल द्विवेदी,सुमित्रानंदन पंत,अटल बिहारी वाजपेयी,आदि|