हिंदी के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या तात्पर्य है
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ll हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने से तात्पर्य उसका अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी इत्यादि गैर-हिंदी भाषाओं से शब्दों को ग्रहण न करने तथा हिंदी की बोलियों व उनके शब्दों को प्रधानता प्रदान करके हिंदी का विकास करने से है। ... अपने इसी गुण के कारण हिंदी भारतीय संस्कृति की पहचान बन गई है।
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