Hindi, asked by kalika3, 1 year ago

हिंदी कविता में स्वच्छता छंद रचना का सूत्र पात्र किसने किया था

Answers

Answered by TheSam007
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संस्कृत वांग्मय में सामान्यतः लय को बताने के लिये प्रयोग किया गया है।[1] विशिष्ट अर्थों में छन्द कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों को कहते हैं जिनसे काव्य में लय और रंजकता आती है। छोटी-बड़ी ध्वनियां, लघु-गुरु उच्चारणों के क्रमों में, मात्रा बताती हैं और जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता है
Answered by komalsharmasharma199
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Answer:

हिंदी कविता में स्वच्छता छंद रचना का सूत्र पात्र सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने किया था।

Explanation:

स्वच्छन्द को आधुनिक युग की देन माना जाता है। जिस छंद में वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता है, उसे स्वच्छन्द कहते हैं। आजकल हिंदी में स्वतंत्र रूप से लिखे जाने वाले छंद स्वच्छन्द होते हैं।

चरणों की अनियमित, असमान, स्वछन्द गति तथा भाव के अनुकूल यति विधान ही मुक्त छंद की विशेषताए है। इसे रबर या केंचुआ छंद भी कहते हैं। इसमे न वर्णों की गिनती और न ही मात्राओं की गिनती होती है।

स्वच्छन्द कविता का वह रूप है जो किसी छन्दविशेष के अनुसार नहीं रची जाती न ही तुकान्त होती है। स्वच्छन्द की कविता सहज भाषण जैसी प्रतीत होती है। हिन्दी में स्वच्छन्द रचना का सूत्र पात्र सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ने किया था।

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