हिंदी खड़ी बोली का काव्य भाषा के रूप में प्रतिष्ठा मिली
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भारतेन्दु युग में जबकि गद्यभाषा के रूप में खड़ीबोली पूर्णत: प्रतिष्ठित हो गई थी, काव्य जगत् में ब्रजभाषा का ही एकाधिकार रहा। भाषा का यह द्वैत भारतेन्दु के बाद खड़ीबोली काव्यान्दोलन को जन्म देता है और द्विवेदी युग में महावीर छायावाद द्विवेदी के प्रयत्नों से काव्यभाषा के रूप में उसे स्वीकृति मिलती है।
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Hindi khadi boli ko kab ke roop mein protest Mili
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