Hindi, asked by varmaabhishek6501, 4 months ago

हिंदी में निबंध यदि मैं नेता होता तो मैं क्या-क्या करता है इसके बारे में निबंध हिंदी में​

Answers

Answered by anoopatomer2
4

Answer:

I hope it helful for u

mark it brainiest

Attachments:
Answered by selinamihauriya
2

आचार्य शुक्ल ने कहा है जो जितना ऊपर देखते हुए तीर छोड़ता है उतना ही तीर दूर जाता है जो जितना संभव कल्पना करता है और उसी के अनुरूप कार्य करता है वही व्यक्ति सफल होता है अतः मनुष्य को यथासंभव उन्नत विचार रखनी चाहिए और केवल कल्पना ही नहीं अपितु कल्पना को साकार रूप देने के लिए अथक प्रयास करना चाहिए इस विषय पर प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह जी ने कहा था कि जो आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करता है वह घटिया किस्म का व्यक्ति है नेता होने पर नेताओं को कितने सुखद आनंद की अनुभूति होगी उसकी सहज कल्पना नहीं की जा सकती यदि नेता का दायित्व संभालने को मिले तो फिर मैं कर सकता हूं यह विचारणीय है शिक्षा के निरंतर गिरते हुए स्तर और नैतिक पतन के कारणों के विषय में सुविज्ञ नीति विषयों की सलाह पर शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रयास करता आरक्षण के कारण घटी हुई प्रतिस्पर्धात्मक गुणवत्ता मैं सुधार लाने के लिए प्रयास करता आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की शिक्षा के लिए पूर्ण प्रयास करता नैतिक पतन का जो खिलौना दृश्य आज सर्वत्र दिखाई दे रहा है सर्वत्र उद्दंडता बेरोकटोक फैल रही है उस पर शीघ्र दंडात्मक विधान होता उनके आचरण से राष्ट्र की संस्कृति विद्रूप होती जा रही है उस पर लगाम लगा देते हैं नैतिक पतन के कारण सड़कों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक भ्रष्टाचार की प्रथा चल पड़ी है उसे सुधार की और विशेष प्रयास किए जाने चाहिए आज बेरोजगारी की समस्या मुंह बाए खड़ी है उसका हल निकालने की कोशिश करता और उन्हीं लोगों को नौकरी की वीर्य ता दी जाती जो कम जनसंख्या के नाम पर वचनबद्ध होते देश की गरिमा कैसे बनी रहे यह विचार सर्वोच्च होता देश की सीमाओं पर बढ़ते आतंक को देखते हुए करो और मरो का मंत्र सैनिकों को देता ऐसी स्थिति में पकड़े गए आतंकियों को जेल में रखकर उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हुए न्यायिक दंड का विधान तुरंत होता केवल आतंकियों तक ही नहीं अपितु जो राष्ट्रद्रोह ही राष्ट्र की संपत्ति को विदेश में जमा करते आ रहे हैं उनके प्रति भी वैसा ही दंडात्मक विधान होता जनता में आज विश्वास की भावना कम होती जा रही है उच्च पद पर आसीन अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं करते हैं जिससे जनता में विश्वास कम हो रहा है मैं समझता हूं राष्ट्र की गरिमा राष्ट्र की संस्कृति से प्रेम मातृभाषा के द्वारा अधिक संभव है प्रांतीय भाषाओं के पढ़ने के साथ हिंदी भाषा पर अधिक जोर देता

I hope it will help you

Similar questions