हिंदी में समस्यत्मक नाटकों के जन्मदाता को माने जा सकते है
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नाटक के पंचम वेद की मान्यता भरतमुनि ने प्रदान की। नाटक के उद्भव के संबंध में भरतमुनि ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'नाट्यशास्त्र' में एक घटना का उल्लेख किया है। उनके अनुसार देवताओं की प्रार्थना पर बह्मा ने ऋग्वेद से पाठ, सामवेद से गान, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से रस लेकर पाँचवें वेद के रूप में 'नाट्य-वेद' की रचना की।
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नाटक के पंचम वेद की मान्यता भरतमुनि ने प्रदान की। नाटक के उद्भव के संबंध में भरतमुनि ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'नाट्यशास्त्र' में एक घटना का उल्लेख किया है। उनके अनुसार देवताओं की प्रार्थना पर बह्मा ने ऋग्वेद से पाठ, सामवेद से गान, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से रस लेकर पाँचवें वेद के रूप में 'नाट्य-वेद' की रचना की।
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