हिंदू महासागर पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
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हाल के वर्षों में हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-फ्रांस समुद्री सुरक्षा सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत अपनी बढ़ती आर्थिक, समुद्री सैन्य क्षमताओं और व्यापक हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं के साथ इस क्षेत्र के देशों के साथ साझेदारी को मजबूत करने का इच्छुक है। दूसरी ओर, फ्रांस ने भू-राजनीतिक बदलाव को पहचानते हुए, हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र के राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाने और क्षेत्र के प्रमुख प्लेयर के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने पर जोर देना शुरू कर दिया है। हिंद महासागर हाल के भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों में चर्चा का एक प्राथमिकता क्षेत्र बन गया है क्योंकि दोनों देश समुद्री क्षेत्र में अपनी दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं।दिनांक 22 अगस्त, 2019 को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पेरिस, फ्रांस में द्विपक्षीय वार्ता हुई। प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर 45वीं जी-7 शिखर बैठक में भाग लेने के लिए फ्रांस की राजकीय यात्रा पर थे। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ,द्विपक्षीय वार्ता के बाद, हिंद महासागर में संयुक्त समुद्रीक्षेत्र जागरूकता के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो)और राष्ट्रीय अंतरिक्ष अध्ययन केंद्र (सीएनईएस), फ्रांस के बीच समझौते को लागू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके पूर्व हिंद महासागर पर केंद्रित समुद्री निगरानी उपग्रह प्रणाली को संयुक्त रूप से विकसित करने के उद्देश्य से इसरो और सीएनईएस के बीच मार्च 2018 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। ये समझौते हिन्द महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत-फ्रांस सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है। हिंद महासागर की पृष्टधाराओं का परिसंचरण असममित है। अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरों पर इस महासागर की चौड़ाई करीब 10,000 किलोमीटर (6200 मील) है; और इसका क्षेत्रफल 73556000 वर्ग किलोमीटर (28400000 वर्ग मील) है जिसमें लाल सागर और फारस की खाड़ी शामिल हैं। ... यह तीन और से भू-वेष्टित महासागर है।
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