Hindi, asked by sindhuc24, 27 days ago

हिंदी निबंध प्रतियोगिता विषय:- *दाण्डी यात्रा और स्वतंत्रता संग्राम में इसका महत्त्व 9 class​

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Answered by arjun5493
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दांडी यात्रा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की उन युगांतरकारी घटनाओं में से एक है जिसने स्वतंत्रता प्राप्ति के स्वप्न को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

इस यात्रा के जरिए गांधीजी ने अपने सत्याग्रही साथियों की मदद से सत्य का ऐसा रास्ता आविष्कृत किया जिससे अंग्रेज हक्के-बक्के रह गए। सत्य और अहिंसा के दम पर सविनय अवज्ञा के मंत्र से गांधीजी ने अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंका।

12 मार्च को इस यात्रा की वर्षगांठ के अवसर पर यह देखना जरूरी है कि इस ऐतिहासिक यात्रा का भारत की आजादी में कितना महत्वपूर्ण योगदान है। इस पुनरावलोकन के लिए प्रस्तुत है यह लेख-

दांडी की नींव पर आजाद भारत का स्वप्न

दांडी प्रयाण का एक मकसद था ब्रिटिश सरकार द्वारा अध्यारोपित नमक कानून की जघन्य धाराओं का प्रतिरोध करना। जबकि इसका दूसरा मकसद कहीं अधिक गहरे निहितार्थों वाला था, जिसने इस अभियान को एक विशिष्ट महत्व प्रदान किया।

वास्तव में यह प्रयाण एक ऐसी चिंगारी थी जिसने स्वतंत्रता आंदोलन की लौ को प्रज्जवलित किया व सविनय अवज्ञा आंदोलन की जड़ों को पूरे देश में व्यापक रूप से फैलाने में निर्णायक भूमिका अदा की।

दिसंबर, 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संपूर्ण स्वराज्य को अपना प्राथमिक लक्ष्य घोषित किया तथा 28 जनवरी 1930 को इसे 'स्वतंत्रता दिवस" के रूप में पूरे देश में जोरशोर से मनाया |

हर कहीं लोगों ने उत्साहपूर्वक 'पूर्ण-स्वराज्य" के लिए अपने आप को समर्पित करने का प्रण किया। फिर इसी पृष्ठभूमि में, गांधीजी ने कांग्रेस के तहत पहला कदम उठाते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन यानी नमक सत्याग्रह का सूत्रपात किया।

जब गांधी को मिला रोटी के बदले पत्थर

वायसराय को नोटिस : अभियान की शुरुआत करने से पूर्व गांधीजी ने 2 मार्च 1930 को वायसराय के नाम एक ऐतिहासिक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के अधीन भारत की दुर्दशा का वर्णन करते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की अपनी मंशा व्यक्त की और इसके लिए सांकेतिक रूप से नमक कानून को तोड़ने का उन्होंने अपना मंतव्य जाहिर किया क्योंकि उनकी नजर में यह 'गरीब आदमी के दृष्टिकोण से सबसे अन्यायपूर्ण कानून" था।

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