हिंदी नदी की पुकार कविता लिखिए
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मैं नदी हूं
" हिमालय की गोद से बहती हूं
तोड़कर पहाड़ों को अपने साहस से
सरल भाव से बहती हूँ
लेकर चलती हूँ मैं सबको साथ
चाहे कंकड़ हो चाहे झाड़
बंजर को भी उपजाऊ बना दू
ऐसी हूं मैं नदी
बिछड़ों को मैं मिलाती
प्यासे की प्यास में बुझाती
कल - कल करके में बहती
सुर ताल लगाकर संगीत बजाती
कहीं पर गहरी तो कहीं पर उथली हो जाती
ना कोई रोक पाया ना कोई टोक पाया
मैं तो अपने मन से अविरल बहती
मैं नदी हूं
मैं नदी हूं
सब सहती चाहे आंधी हो या तूफान
चाहे शीत और चाहे गर्मी
कभी ना रुकती , कभी ना थकती
मैं नदी सारे जहां में बहती
i am the river
"I flow from the lap of the Himalayas
Breaking the mountains with your courage
flow with ease
I carry everyone along
whether it is a pebble or a tree
make barren fertile
I am the river
I mix the lost
quench the thirst of the thirsty
Tomorrow I flowed
playing music in harmony
Somewhere deep and somewhere shallow
no one can stop no one can stop
I keep flowing through my mind
i am the river
i am the river
Everyone suffers whether it is a storm or a storm
whether it is cold or whether it is summer
never stop, never get tired
Everywhere I river flows
Explanation:
please mark me as brainlest