हाथी और द्जी कि कहानी
Answers
Explanation:
एक बार की बात है। कही दूर किसी गाँव में एक दर्जी रहा करता था। उसी दर्जी का एक दुकान था। उस दुकान पर दर्जी लोगो का कपडा सिला करता था।
उसी गांव में एक हाथी रहा करता था। वह हाथी तालाब में रोज नहाने जाया करता था। तालाब के रास्ते में दर्जी का दुकान पड़ता था।
दर्जी रोज हाथी को खाने के लिए फल दिया करता था। एक दिन दर्जी किसी काम के कारण अपने दुकान पर नहीं आया।
उस दिन दर्जी के दुकान पर दर्जी का बेटा बैठा हुआ था। हाथी ने अपना सूड़ दूकान के अंदर किया।
ताकि दर्जी उसे कुछ खाने के दे सके। पर आज दर्जी तो दुकान पर था ही नहीं। दर्जी के बेटे से हाथी के सूड़ में सुई घुसा दिया।
जिसके कारण हाथी को पीड़ा होने लगी। हाथी ने सोच लिया कि आज दर्जी के बेटे को सबक सीखना ही होगा।
उस समय वह हाथी नहाने के लिए तालाब की ओर चल दिया। जब वह तालाब से नाहा कर आ रहा था, तो उसने अपने सूड़ में कीचड़ भर लिया।
सूड़ का कीचड़ लेकर दर्जी के दुकान पर फेक दिया। कीचड़ के कारण दुकान में मौजूद सभी नए कपडे ख़राब हो गए।
साथी ही दर्जी का बेटा भी गन्दा हो गया। अब दर्जी के बेटे को सबक मिल चूका था। जब दर्जी को यह खबर मिली तो उसे बहुत ही दुःख हुआ। दर्जी ने अपने बेटे से ऐसा करने को मना किया।
अगले दिन दर्जी ने हाथी को प्रेम किया, उसके सर को सहलाया। फिर से दर्जी और हाथी एक अच्छे दोस्त बन गए।
अब दर्जी के दुकान पर जब भी हाथी आता तो उसे दर्जी और दर्जी का बेटा खाले को फल दिया करते थे। यह कहानी यही खत्म।
यह कहानी भी पढ़े: बिल्ली के गले में घंटी की कहानी
हाथी और दर्जी की कहानी भले ही एक पुरानी कहानी क्यों न हो, पर यह कहानी मजेदार और सीख से भरी कहानी है।
दूसरे शब्दों में दर्जी और हाथी की कहानी पढ़ने से सीख मिलता है कि हमें किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए।
साथ ही मजा भी आता है कि कैसे हाथी ने दर्जी के दुकान पर कीचड़ फेका।
Add me as brainlist