हिंदी पत्रलेखन
अपने जीवन दुःखद घटना का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए|
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दिनांक : 12 अप्रैल 20...
प्रिय मित्र रजनीश,
नमस्कार।
आज ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। जानकर प्रसन्तना हुई कि माता जी का स्वास्थ्य अब ठोक है। मैं इस पत्र द्वारा एक ऐसी दुर्घटना का आँखों देखा हाल लिख रहा जो हमारे नगर में हुई।
कुछ दिन पहले हमारे पड़ोस में अग्नि कांड हुआ। दोपहर का समय था कि अपने मित्रों के साथ स्कूल से घर की ओर आ रहा था। रास्ते में देखा कि अनाज मण्डी के साथ लगती दुकानों में आग लगी हुई है। चारों और धुआं ही 1. धुआं था। सड़क के दोनों ओर लोग जमा थे। लोग दुकानों में से सामान निकाल कर बाहर ला रहे थे। कुछ लोग पानी की बाल्टियाँ भर कर ला रहे थे । मैं भी अपने मित्रों को साथ लेकर आग बझाने में लग गया। आग फैलती ही जा रही थी। कुछ बच्चों और लोगों के रोने चीखने की आवाजें आने लगी। लगभग 1 घण्टे बाद दमकल की गाड़ियां आ गईं। उनके कर्मचारियों ने को हटाकर अपना काम शरू किया। कर्मचारियों ने लम्बी सीढ़ियां लगाकर आग में फंसे हुए लोगों को बचाया और धीरे-धीरे आग पर नियन्त्रण पा लिया। साय पाँच तक आग बझ गई लेकिन चारो। तरफ जले हुए समान से दुर्गन्ध आ रही थी। आग बझ जाने के बाद मैं अपने मित्रों के साथ घर लौटा। घर वाले भी मेरे देर से आने के कारण परेशान थे। मेरे बताने पर वे शान्त हो गए। इस अग्नि कांड का समाचार-समाचार पत्रा में भी छपा था। शायद आपने भी पढ़ा हो। माता पिता जी को मेरी ओर से
प्रणाम।
तुम्हारा मित्र
पता- रमन, सुदेश।
14 बी II
माडल टाऊन
राजपुरा।