हिंदी साहित्य का इतिहास कितने भागों में बांटा गया है प्रत्येक काल की रचनाओं की विषय वस्तु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
Answers
2.प्राकृतिक
3.अपभ्रंश
4. मध्यकालीन
5. आधुनिक
' हिंदी साहित्य का इतिहास ' मूलतः
निम्नलिखित भागों में बांटा गया है :-
• आदिकाल
• मध्यकाल
- भक्तिकाल
- रीतिकाल
• आधुनिक काल
1) आदिकाल
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• हिंदी साहित्य के इतिहास का सबसे प्राचीन
काल ।
• इसे ' वीरगाथाकाल ' भी कहा गया है ।
'आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ' ने आदिकाल का नामकरण ' वीरगाथाकाल ' से किया है ।
रचनाएं :-
- रासो काव्य
मूलतः वीर रस प्रधान रचना । उदाहरण के तौर
पर , पृथ्वीराज रासो आदि । इन रचनाओं में ,
राजा की प्रशंशा , युद्ध का सजीव वर्णन , वीर
रस का प्रमुख स्थान ।
( डिंगल - पिंगल भाषा का प्रयोग )
- पदावली, ( मैथिली भाषा )
- कीर्तिपताका ( अपभ्रंश भाषा )
- कीर्तिलता ( अपभ्रंश भाषा )
- खुसरों की पहेलियां और मुकरियाँ ( खड़ी
बोली )
कवि :-
• विद्यापति
• खुसरो
• चंदबरदायी आदि ।
निष्कर्ष : इस काल में तरह - तरह के रचनाएं
हुए , विषय वस्तु कोई एक नहीं था । साथ ही
अलग - अलग भाषाओं में ग्रंथ रचा गया
2) भक्तिकाल ( स्वर्णयुग )
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भक्तिकाल :-
• सगुण काव्यधारा
- कृष्ण भक्ति शाखा ( मीराबाई , सूरदास )
- राम भक्ति शाखा ( तुलसीदास )
• निर्गुण काव्यधारा
- ज्ञानाश्रेयी ( कबीरदास )
- प्रेमाश्रेयी ( जायसी )
रचनाओं का विषय वस्तु :-
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• इस काल में भक्ति को महत्व दिया गया ।
• मीराबाई और सूरदास जैसे कृष्ण भक्ति
शाखा के कवियों के काव्य में ' कृष्ण की
भक्ति' दिखाई देती है ।वही तुलसीदास जी के
काव्य में ' राम भक्ति ' ।
• इस काल में कबीर ने नीति परक , समाज
सुधारक दोहे , साखी की रचना की । वही
जायसी ने ' प्रेम ' के महत्व को बताया ।
3) रीतिकाल
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इस काल में रीति ग्रंथों की रचना हुई ।इस
काल में तीन धाराएं थी :-
• रीति सिद्ध
• रीति मुक्त
• रीति बद्घ
इस काल में श्रृंगार को महत्व दिया गया।
जिसने नर और नारी जीवन की बात तथा नारी
का नख शिख वर्णन भी दिखाई देता है ।
कवि :- केशवसास , बिहारी , भूषण
रचना :- बिहारी सतसई , रसिकप्रिया
4) आधुनिक काल
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इस काल को गद्य काल भी कहा गया है । इसी
युग में गद्य का प्रयोग हुआ। इस काल का
मुख्य विषय वस्तु ' राष्ट के प्रति प्रेम ' था । इस
काल में लोगो को खड़ी बोली में रचना करने
हेतु कहा गया , प्रेरित किया गया ।
आधुनिक काल :
• भारतेंदु युग ( भारतेंदु हरिश्चंद्र )
• द्विवेदी युग ( आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी,
प्रेमचंद , शुक्ल )
• छायावाद ( महादेवी वर्मा , जयशंकर प्रसाद )
• प्रगतिवाद ( केदारनाथ अग्रवाल , नागार्जुन )
• प्रयोगवाद और नई कविता ( अज्ञेय )
• उत्तर आधुनिक वाद
रचनाकार :- आचार्य रामचंद्र शुक्ल , आचार्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी , प्रेमचंद , जयशंकर
प्रसाद आदि ।