हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग किस काल को कहा जाता है और क्यों
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हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग भक्तिकाल को कहा जाता है क्योंकि भक्तिकाल का महत्व भक्ति भावना तथा साहित्य दोनों ही दृष्टियों से बहुत अधिक है।
- भक्तिकाल को हिंदी साहित्य जगत का स्वर्ण युग कहा जाता है। भक्ति संबंधी रचनाओं कर साथ साथ ग्रंथो में काव्य के अंश्यक अंग रस छंद, अलंकार , प्रतीक , बिम्ब , दोहा ,
सोरठा, योजना रूपक भाव का चित्रण सुंदर
प्रकार से किया गया है
- भक्ति काल का महत्व भक्ति भावना तथा साहित्य दोनों दृष्टियों से अधिक है।
- स्वर्ण युग उस अवधि को कहा जाता है जिसके दौरान गतिविधि के एक विशेष क्षेत्र में विशेष रूप से साहित्य या कला में बहुत उच्च स्तर पर उपलब्धि प्राप्त की जाती है।
- भक्तिकाल के कवि :
- संत कबीरदास , मीराबाई , संत हरिदास कुम्भनदास , संत रामदास , संत तुलसीदास, संत सूरदास आदि। संत नामदेव को भक्ति काल का प्रथम कवि माना जाता है।
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