हिंदी साहित्यकार - सुदर्शन जी का हिंदी साहित्य में स्थान लिखे
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सुदर्शन १९४५ में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
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सुदर्शन (अंग्रेज़ी: Sudarshan; जन्म- 1896 ई., सियालकोट, वर्तमान पाकिस्तान) हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका वास्तविक नाम 'पण्डित बद्रीनाथ भट्ट' था। सुदर्शन प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार थे। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क के समान ही वे हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे। उन्होंने अपनी प्राय: सभी प्रसिद्ध कहानियों में समस्याओं का आदर्शवादी समाधान प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार थी। सुदर्शन जी को गद्य और पद्य दोनों ही में महारत प्राप्त थी। साहित्य-सृजन के अतिरिक्त पंडित सुदर्शन ने अनेकों फ़िल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे थे।