हिंदुस्तान में अनगिनत नदियाँ हैं, इसलिए संगमों का भी कोई पार नहीं है। इन सभी संगमों
में हमारे पुरखों ने गंगा-यमुना का यह संगम सबसे अधिक पसंद किया है, और इसीलिए उसका
'प्रयागराज' जैसा गौरवपूर्ण नाम रखा है। पिछली पाँच शताब्दियों में जिस प्रकार हिंदुस्तान के
इतिहास का रूप बदला, उसी प्रकार दिल्ली-आगरा और मथुरा-वृंदावन के समीप से आते हुए
यमुना के प्रवाह के कारण गंगा का स्वरूप भी प्रयाग के बाद बिलकुल बदल गया है. in English
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