हिंदुस्तान समाचार - पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें देश में बढ़ती जनसंरत्या पर चिंता प्रकट की गई हों
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दैनिक हिन्दुस्तान हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र है। यह 1932 में शुरु हुआ था। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था।
1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन छिड़ने पर `हिन्दुस्तान' लगभग 6 माह तक बन्द रहा। यह सेंसरशिप के विरोध में था। एक अग्रलेख पर 6 हजार रुपये की जमानत माँगी गई। देश के स्वाधीन होने तक `हिन्दुस्तान का मुख्य राष्ट्रीय आन्दोलन को बढ़ावा देना था। इसे महात्मा गाँधी व काँग्रेस का अनुयायी पत्र माना जाता था। गाँधी-सुभाष पत्र व्यवहार को हिन्दुस्तान' से अविकल रूप से प्रकाशित किया।
पत्र लिखते समय
स्मरण में रखना………..
प्रारंभिक पैराग्राफ में पत्र लिखने के अपने इरादे का उल्लेख करें।
विषय वस्तु के परिवर्तनों को चिह्नित करने के लिए अपने पत्र को पैराग्राफ में विभाजित करें।
सभी प्रासंगिक जानकारी शामिल करें।
शिकायत लिखते समय भी अपने सुझावों में विनम्र और सौम्य रहें।
अपने वाक्यों को छोटा रखें।
सरल अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करें। सरल और सीधी भाषा का प्रयोग करें।
अपने पत्र में वर्तनी, व्याकरणिक और लापरवाह गलतियों से बचें।
बड़े करीने से लिखें।
सटीक, संक्षिप्त और सटीक रहें।
उस ब्लॉक प्रारूप का उपयोग करें जिसमें कोई इंडेंटेशन नहीं है और बाएं संरेखित है।
सेवा में,
संपादक महोदय,
हिंदुस्तान टाइम्स,
कस्तूरबा गाँधी मार्ग, नई दिल्ली।
विषय: देश में लड़कियों की घटती जनसंख्या पर चिंता जताने हेतु पत्र।
श्रीमान जी,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से देश में निरंतर लड़कियों की घटती जनसंख्या की ओर प्रशासन और सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूँ।लड़कों की चाहत में लोग कन्या भ्रूण को गर्भ में ही मरवा देते हैं। उन्हें बस पुत्र की कामना होती है। लड़की का जन्म उनके लिए परेशानियों का कारण होता है। किसी घर में यदि दो बेटों के बाद एक बेटी हो जाए, तो भी लोग प्रसन्न नहीं होते। लोग लड़के की कामना में तब तक गर्भपात करवाते रहते हैं, जब तक की भ्रूण लड़का न हो। हम इस सत्य को नज़र अंदाज़ कर देते हैं कि पुत्र कामना के चक्कर में हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए विषमताएँ पैदा कर रहे हैं। प्रकृति ने अपनी बनाई दुनिया में संतुलन कायम किया हुआ है। परन्तु हमने उसके संतुलन को सदैव नष्ट ही किया है। जितने लडकों का जन्म होता है, उसके पीछे उतनी ही लड़कियों का भी जन्म होना आवश्यक है। इस तरह दोनों की संख्या में संतुलन कायम होता है। विवाह परंपरा परिवार को बढ़ाने और जीवनसाथी का साथ पाने के लिए की जाती है। परन्तु यदि लड़के ही जन्म लेते रहेंगे, तो भविष्य में इनके बीच बहुत बड़ा असंतुलन पैदा हो जाएगा। लड़कों को विवाह के लिए कन्या ही नहीं मिलेगी। इसके कारण घर परिवार की बढ़ोतरी नहीं होगी। जिस वंश को चलाने के लिए लोग पुत्र कामना करते हैं। उनका ही वंश समाप्ति की कगार पर आ जाएगा। जो बची हुई लड़कियाँ होगीं, उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उनकी अस्मिता के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ेगा। समाज में अराजकता और हिंसा का बोलबाला हो जाएगा। लोग लड़कियों की कमी को समझना आरंभ कर देंगे। परन्तु तब परिस्थितियाँ उनके हाथ से निकल चुकी होंगी। जो लोग पुत्र होने पर गर्व महसूस करते हैं, उन्हें विवाह योग्य कन्या के लिए जगह-जगह हाथ फैलाना पड़ेगा। हमें चाहिए कि इस तरह की समस्या आने से पहले उस समस्या को समाप्त कर दिया जाए।
आपसे निवेदन है कि अपने समाचार पत्र में इसे प्रकाशित कर प्रशासन व सरकार का ध्यान दिलाएँ ताकि वे ऐसे उपाय करें, जिससे इस प्रकार की घटनाओं को होने से पहले ही रोका जा सके।
धन्यवाद,
भवदीय,
क.ख.ग
hope it helps you
Please mark me brainliest and give me thanks