Hindi, asked by kalpesh35, 11 months ago

हिंदी दिवस पर वृतांत

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Answered by yasuraj377
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Answer:

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 के दिन मिला था. तब से हर साल यह दिन 'हिंदी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक वजह है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी अहम बातें.

- हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है. 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं.

- 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते थे, उनमें हिंदी को तीसरा स्थान दिया जाता था.

- हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं.

  • कैसे हिंदी बनीं राजभाषा

साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ.

लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी.

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए. बतादें पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था.

  • अंग्रेजी भाषा को लेकर हुआ विरोध

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. अंग्रेजी भाषा को हटाए जाने की खबर पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था. तमिलनाडू में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे हुए थे.

  • जनमानस की भाषा है हिंदी

साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था. इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था.

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Answered by jayathakur3939
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हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 के दिन मिला था | तब से हर साल यह दिन 'हिंदी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है | हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है |  हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं | मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते थे, उनमें हिंदी को तीसरा स्थान दिया जाता था |

हिंदी दिवस भारत की मातृ भाषा को सम्मान देने के लिये प्रति वर्ष मनाया जाता है यह लोगों द्वारा सरकारी कार्यालयों, निजी कार्यालयों, और शैक्षिक संस्थानों में मनाया जाता है । यह शिक्षकों के उचित मार्गदर्शन में विविध गतिविधियों के साथ स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा मनाया जाता है । हिंदी दिवस पूरे देश भर में मनाया जाता है, जो भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाता है । यह बहुत सी मनोरंजक गतिविधियों की एक विशेष सभा का आयोजन करके लगभग सभी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों द्वारा मनाया जाता है ।

साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ था  तो उसके सामने भाषा को लेकर बहुत से सवाल थे क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है |लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी यह एक बहुत बड़ा सवाल  था | काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुन लिया गया |संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था |14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी |

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए | आपको बता दें कि पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था | महात्मा गांधी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था | इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था |

हिन्दी हमारी मातृ भाषा है और हमें इसका आदर और सम्मान करना चाहिए । देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के एक साथ विकास के कारण, हिन्दी ने कहीं ना कहीं अपना महत्ता खो दी है । प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए  हर कोई अंग्रेजी को बोलना और सीखना चाहता है और इसी प्रकार की माँग भी है । हालाकिं, हमें अपनी मातृ भाषा को नहीं छोडना चाहिए  और इसमें भी रुचि लेनी चाहिए  और सफल होने के साथ अन्य आवश्यकताओं का पूर्ति के लिये दोनों का ज्ञान एक साथ होना चाहिए । किसी भी देश की भाषा और संस्कृति किसी भी देश में लोगों को लोगों से जोङे रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है | यह एक बहुत ही विशाल भाषा है, जो अन्य देशों (नेपाल, त्रिनिदाद, मारीशस, आदि) के लोगों द्वारा भी बोली और अच्छी तरह से समझी जाती है । यह एक दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए बहुत आसान और सरल साधन प्रदान करती है ।

हिन्दी दिवस को त्यौहार की तरह मनाना चाहिए , इस लिए  नहीं कि यह हमारी राजभाषा है बल्कि इसलिए  भी कि यह हमारी मातृ भाषा है जिसका हमें सम्मान करना चाहिए  और समय समय पर स्मरणोत्सव भी मनाना चाहिए  | हमें हमारी राजभाषा पर गर्व करना चाहिए  और अन्य देशों में हिन्दी बोलते समय कभी भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करना चाहिए ।  

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