हिंदी विश्वशाति की भाषा है। कुछ ऐसा कहना था जापान से भारत आए भारत प्रेमी सारी
माकिनो' का। Internet की सहायता से साइजी माकिनो के जीवन पर संक्षिप्त जानकारी प्राप्त
करके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
1. साइजी माकिनो भारत किसलिए आए थे?
2. भारत को ही वे अपना घर क्यों मानते थे?
3) जापान में हिंदी भाषा की क्या स्थिति है?
Answers
‘हिंदी विश्व शांति का भाषा है’ ऐसा जापान से भारत आये भारतप्रेमी ‘साइजो मकिनो’ का कहना था।
1)
‘साइजी मकिनो’ एक जापानी प्रवासी थे जो भारत में एक पशु चिकित्सक के रूप में आये थे। गांधी जी द्वारा स्थापित किये गये वर्धा आश्रम में एक पशु चिकित्सक की आवश्यकता थी। ‘साइजी मकिनो’ का एक परिचित ‘फुजेई गुरुजी’ उस आश्रम में थे। उन्होंने साइजो मकिनो को आश्रम में आने का ऑफर दिया। साइजी मकिनो भी जापान से ऊब चुके थे वो कुछ परिवर्तन चाहते थे इसलिये वो ऑफर स्वीकार सन् 1959 में भारत चले आये और सदैव के लिये यहीं के होकर रह गये।
2)
‘साइजी मकिनो’ जो एक बार जापान से भारत आये तो सदा के लिये भारत के ही होकर रह गये। उन्हें भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा से बेहद लगाव हो गया था। साइजी मकिनो भारत को अपना घर मानते थे क्योंकि जापान जहां से वो आये तो वहां उन्हें वो जापान नजर नही आता, जो कभी था। भारत के मणिपुर में उन्हें अपना जापान नजर आता था। इसीलिये साइजी मकिनों भारत को अपना घर मानते थे।
3)
जापान में हिंदी भाषा की स्थिति बेहद सम्मानजनक है। जापानियों में हिंदी भाषा को सीखने की बेहद उत्कंठा हैं। जापान के प्रमुख शहर टोक्यों और ओसाका के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी बीए व एमए के स्तर तक पढ़ाई जाती है। हिंदी की लोकप्रियता जापान में धीरे-धीरे बढ़ रही है।