हैदराबाद के निज़ाम ने सरोजिनी को इंग्लैंड पढ़ने क्यों भेज दिया?
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हैदराबाद राज्य के सातवें शासक मीर उस्मान अली ने 37 वर्षों तक शासन किया
1 नवंबर 1947, लाहौर.
भारत आज़ाद हो चुका है, एक नया देश पकिस्तान अस्तित्व में आ चुका है लेकिन क्षेत्र की तीन बड़ी रियासतों- कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ का भविष्य स्पष्ट नहीं है. इन तीनों रियासतों ने आज़ाद रहने का फ़ैसला किया है जबकि भारत और पकिस्तान इनको अपने साथ मिलाना चाहते हैं.
भारत के अंतिम वॉयसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबैटन ने पकिस्तान के गवर्नर जनरल और क़ाइद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना को एक नवंबर सन 1947 को एक लिखित प्रस्ताव भेजा. सुझाव में उन रियासतों में रहने वाले आम लोगों से राय लेने की बात कही गयी थी जहाँ के हुक्मरान रियासत की बहुसंख्यक आबादी की जगह अल्पसंख्यक आबादी से आते थे.
हालाँकि, ये सुझाव बुनियादी तौर पर कश्मीर के लिए था लेकिन भारत के क़ानूनविद और कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ पर तीन विभिन्न पुस्तकों के लेखक व विश्लेषक ए.जी. नूरानी का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने विवाद को शांति के साथ हल करने का मौक़ा गंवा दिया और उनके हाथ कुछ भी नहीं आया.
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1 नवंबर 1947, लाहौर.
भारत आज़ाद हो चुका है, एक नया देश पकिस्तान अस्तित्व में आ चुका है लेकिन क्षेत्र की तीन बड़ी रियासतों- कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ का भविष्य स्पष्ट नहीं है. इन तीनों रियासतों ने आज़ाद रहने का फ़ैसला किया है जबकि भारत और पकिस्तान इनको अपने साथ मिलाना चाहते हैं.
भारत के अंतिम वॉयसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबैटन ने पकिस्तान के गवर्नर जनरल और क़ाइद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना को एक नवंबर सन 1947 को एक लिखित प्रस्ताव भेजा. सुझाव में उन रियासतों में रहने वाले आम लोगों से राय लेने की बात कही गयी थी जहाँ के हुक्मरान रियासत की बहुसंख्यक आबादी की जगह अल्पसंख्यक आबादी से आते थे.
हालाँकि, ये सुझाव बुनियादी तौर पर कश्मीर के लिए था लेकिन भारत के क़ानूनविद और कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ पर तीन विभिन्न पुस्तकों के लेखक व विश्लेषक ए.जी. नूरानी का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने विवाद को शांति के साथ हल करने का मौक़ा गंवा दिया और उनके हाथ कुछ भी नहीं आया.
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