हृदय का उजाला कविता का भावार्थ
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¿ हृदय का उजाला कविता का भावार्थ...
✎... ‘हृदय का उजाला’ कविता ‘रामाकांत यादव’ द्वारा रचित कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मिट्टी के दीपक की जगह ह्रदय के दीपक जलाने के लिए प्रेरित किया है। कवि ने त्योहारों, उत्सव आदि पर व्यर्थ का दिखावा करने की जगह दीन-दुखियों की सेवा करने और उनका भला करने की प्रेरणा दी है और लोगों का आह्वान किया है कि अपने उत्सव त्योहारों व्यर्थ व्यर्थ का पाखंड दिखावा आदि करने की जगह दीन-दुखियों की सेवा करो। किसी भूखे का पेट भरो, किसी नंगे को वस्त्र दान करो, किसी बेसहारा का सहारा बनो, किसी बेघर को आश्रय दो, तभी दीप जलाने की सार्थकता सिद्ध होगी। जैसे दीपक स्वयं जल कर सब को प्रकाशित करता है, वैसे ही आप भी स्वयं के हृदय के दीपक को जलाकर लोगों के जीवन को प्रकाशित करो।
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