॥
हे दयामय हम सबों को शुद्ध जीवन दीजिए।
दूर करके हर बुराई को भलाई दीजिए।
ऐसी कृपा और अनुग्रह हम पै हो परमात्मा।
हों सभी बच्चे-बड़े इस देश के धर्मात्मा।
हो उजाला सबके मन में ज्ञान के प्रकाश से।
और अँधेरा दूर सारा हो अविद्या-नाश से।
खोटे कमों से बचें और तेरे गुण गाएँ सभी।
छूट जाएँ दुःख सारे, सुख सदा पाए सभी॥
सारी विद्याओं को सीखें, ज्ञान से भरपूर हों।
शुभ-कर्म में होवें तत्पर दुष्ट-गुण सब दूर हों।
यज्ञ-हवन से हो सुगन्धित, अपना भारतवर्ष देश।
वायु जल सुखदायी होवें, जाएँ मिट सारे क्लेश।
वेद के प्रचार में होवें सभी पुरुषार्थी।
होवे आपस में प्रीति, और बनें परमार्थी॥
लोभी और कामी, क्रोधी कोई भी हममें न हो।
सर्व व्यसनों से बचें और छोड़ देवें मोह को।
अच्छी संगत में रहें और वेद-मार्ग पर चलें।
तेरे ही होवें उपासक और कुकर्मों से बचें।
कीजिए हम सबका हृदय शुद्ध अपने ज्ञान से।
मान जीवन में बढ़ाओ सबका भक्तिदान से॥
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