हाउ मच वाटर लेवल इन इंडिया
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जयपुर
प्रदेश में भूजल विभाग अब हाईटेक होने जा रहा है। भूजल स्तर का आंकलन अब आधुनिक तकनीक से होगा। भूजल स्तर के आंकलन के लिए आॅटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। इन रिकॉर्डर की खास बात यह होगी कि यह रिकॉर्डर सेटेलाइट कनेक्टिविटी से जुड़े होंगे। इनके जरिए भू—वैज्ञानिक किसी भी समय भूजल स्तर की रिपोर्ट आॅनलाइन प्राप्त कर सकेंगे। अभी मौजूदा व्यवस्था में साल में दो बार भूजल स्तर का आंकलन किया जाता है। यह वाटर लेवल
भू—वैज्ञानिक मॉनिटरिंग स्टेशनों पर जाकर खुद करते हैं।
अभी भूजल विभाग के अभी करीब 8 हजार मॉनिटरिंग स्टेशन हैं। इनके जरिए विभाग भूजल स्तर का आंकलन करता है। इनमें से 2200 केन्द्रों पर पीजोमीटर और बाकी केन्द्रों पर खुले कुओं के जरिए भूजल स्तर का आंकलन किया जाता है। इन मॉनिटरिंग स्टेशनों पर भू—वैज्ञानिकों को जाना पड़ता है। भूजल विभाग में भू—वैज्ञानिकों के पद खाली होने से कार्यरत भू—वैज्ञानिकों के पास अतिरिक्त काम है। वर्तमान में 33 जिलों में से केवल 11 जिलों में ही भूजल वैज्ञानिक कार्यरत हैं। ऐसे में अब आॅटोमेटिक रिकॉर्ड करने वाले पीजोमीटर से भूजल स्तर का आंकलन किया जाएगा।
सेटेलाइट से मिलेगी रीडिंग
मिली जानकारी के मुताबिक कुछ आॅटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर प्रायोगिक तौर पर लगाए गए थे। राजभवन में भी इसका सफल प्रयोग बताया जा रहा है। अधीक्षण भू वैज्ञानिक गोपाल प्रसाद शर्मा ने बताया कि ऑटोमैटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर से सेटेलाइट के माध्यम से सीधे रीडिंग मिल सकेगी। भूजल स्तर की जानकारी ऑनलाइन मिल सकेगी।
इतने रिकॉर्डर लगाए जाएंगे
कृषि प्रतिस्पर्द्धात्मक योजना के तहत 86 पीजोमीटर और मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के तहत भी 750 पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं। इनमें से 77 पर ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर होंगे। इनके साथ ही 150 पीजोमीटर नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत भी विभाग को मिले सकेंगे।
चिप के जरिए होंगे कनेक्ट
आॅटोमेटिक रिकॉर्डर में मोबाइल सिम की तरह एक छोटी की चिप लगी होगी। इसके जरिए ये सेटेलाइट से कनेक्ट रहेंगे। इन ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर के सफल रहने पर बाकी मॉनिटरिंग स्टेशनों पर भी ये रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। आरएसीपी के तहत जो ऑटोमैटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। उनकी 5 साल तक सार-संभाल का जिम्मा भी सम्बन्धित फर्म के पास ही रहेगा।
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