हाउ तो वही राजस्थानी बसे ब्रज गोकुल गांव के ग्वार हैं जो पशु हो तो कहा बस मोनू चंद्र नदी तंत्र की धुन सुनना महान है तो वहीं गिरी 4 किलो हरी छत्र पर परंतु
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रसखान कवी का अपने प्रभु श्री कृष्ण की ओर इतना लगाव है कि वह हर
स्थिति में उनके साथ ही रहना चाहते हैं | इसलिए वह कहते हैं की अगले
जन्मों में मुझे अगर मनुष्य योनि मिले तो मैं गोकुल गावं के गवालों के
बीच रहने का मौका मिले | अगर पशु योनि मिले तो मुझे ब्रज में ही रखना
प्रभु ताकि मैं नन्द जी गायों के साथ विचरण कर सकूँ | अगर पत्थर भी
बनूँ तो उस पर्वत का बनूँ जिसे प्रभु ने अपनी ऊँगली पर उठा कर ब्रज को इंद्र
के प्रकोप से बचाया था | पक्षी बना तो यमुना किनारे कदम्ब कि डालों से
अच्छी जगह तो हो ही नहीं सकती बसेरा करने के लिए
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