ह। उस के दरबार में तानसे
नामक प्रसिद्ध गवैया था। अफसोस की बात यह थी कि तानसेन के मन में दया भाव
न था। उसे अपने गायन पर बड़ा घमंड था। वह अकबर का चहेता था। उसने या शर्त
रखी थी कि जो मनुष्य गायन विद्या में मेरी बराबरी ना कर पाए वह आगरे की सीमा
में आने का साहस ना करें। ऐसा करने वाला मृत्यु दंड का भागी होगा। अनजाने में
साधुओं की मंडली नगर में प्रवेश कर गई। ईश्वर के भक्त साधु तल्लीनता से हरि
भजन गा रहे थे। उन्हें सांसारिक का से कुछ लेना-देना ना था। ऐसे में वे सुर ताल की
परवाह क्यों करते। वे बेफिक्री से गायन में मग्न थे। तभी सिपाहियों ने उन्हें कैद कर
लिया और दरबार में ले गए। वहां वे तानसेन का मुकाबला ना कर सके और 10 वर्षीय
बालक को छोड़कर सभी को मृत्यु दंड दे दिया गया। 12 वर्ष बाद यही बालक बैजू
बावरा नाम से प्रसिद्ध हुआ, जिसने अपने अद्भुत गायन से तानसेन का घमंड चूर
चूर कर दिया था।
तानसेन कौन था? उसका स्वभाव कैसा था?
गवैये आगरे की
Answers
Answered by
0
Answer:
jjssjjssjjsjsjdjbdbsksjjrjjr
Similar questions