Hindi, asked by amartyasachandevansh, 7 months ago

ही वास्तविक धर
सावन - निबंध.250 पर
हास​

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सावन को साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस माह का प्रत्येक दिन किसी भी देवी-देवता की आराधना करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है, विशेष तौर पर इस माह में भगवान शिव, माता पार्वती और श्री कृष्ण की आराधना की जाती है।

चैत्र के पांचवे महीने को सावन का महीना कहा जाता है। इस माह के सभी दिन धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण रखते हैं। गहराई से समझा जाए तो इस माह का प्रत्येक दिन एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है।

हिंदू परिवारों में सावन को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण महीने के तौर पर देखा जाता है। इसकी महत्ता इस बात से समझी जा सकती है कि सावन के माह में मांसाहार पूरी तरह त्याज्य होता है और शाकाहार को ही उपयुक्त माना गया है, इसके अलावा मदिरा पान भी निषेध माना गया है।

हालांकि मॉडर्न होती जीवनशैली और बाहरी चकाचौंध के चक्कर में लोग अपने वास्तविक मूल्यों को दरकिनार कर चुके हैं। उदाहरण के लिए नवरात्रि को ही ले लीजिए, शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां नवरात्रि के दिनो में मांस, मदिरा का सेवन किया जाता है। ऐसा ही कुछ सावन में भी देखा जाता है।

हिंदू धर्म, अनेक मान्यताओं और विभिन्न प्रकार के संकलन से बना है। हिंदू धर्म के अनुयायी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ रहते हैं कि हिंदू जीवनशैली में क्या चीज अनिवार्य है और क्या पूरी तरह वर्जित। यही वजह है कि अधिकांश हिंदू परिवारों में नीति-नियमों का भरपूर पालन किया जाता है।

भगवान शिव के भक्त कावड़ ले जाकर गंगा का पानी शिव की प्रतिमा पर अर्पित कर होने प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। इसकी अलावा सावन माह के प्रतेक सोमवार को भगवान शिव पर जल चढ़ाना शुभ और फलदाई माना जाता है।

सावन के महीने में व्रत रखने का भी विशेष महत्व दर्शाया गया है। ऐसी मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां अगर इस पूरे महीने व्रत रखती है तो उन्हें उनकी पसंद का जीवनसाथी मिलता है। इसके पीछे भी एक कथा मौजूद है जो शिव और पार्वती से जुड़ी है।

पिता दक्ष द्वारा अपने पति का अपमान होता देख सती ने आत्मदाह कर लिया था। पार्वती के रूप में सती ने पुनर्जन्म लिया और शिव को अपना बनाने के लिए उन्होंने सावन के सभी सोमवार का व्रत रखा। फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति रूप में मिलें।

यह सब तो पौराणिक मान्यताएं हैं, जिनका सीधा संबंध धार्मिक कथाओं से है। परंतु सावन के महीने में मांसाहार से क्यों परहेज किया जाता है इसके पीछे का कारण धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक भी है।

दरअसल सावन के पूरे माह में भरपूर बारिश होती है जिससे कि कीड़े-मकोड़े सक्रिय हो जाते हैं। इसके अलावा इस मौसम में उनका प्रजनन भी अधिक मात्रा में होता है। इसलिए बाहर के खाने का सेवन सही नहीं माना जाता।

आयुर्वेद में भी इस बात का जिक्र है कि सावन के महीने में मांस के संक्रमित होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, इसलिए इस पूरे माह मांस-मछली या अन्य मांसाहार के सेवन को निषेध कहा गया है।

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