ह्विटले परिषद पर एक टिप्पणी लिखें।
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समझ नहीं आया ??????????!!!!!!!
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यदि हड़ताल के साधन को अनुचित मान भी लिया जाये तब भी इस तथ्य को स्वीकार करना ही होगा कि कर्मचारियों व शासन के मध्य विवाद को सुलझाने का कोई अन्य प्रभावकारी तरीका होना चाहिए । इंग्लैण्ड में शासक व कर्मचारियों के विवादों को निपटाने के लिए एक माध्यम का विकास किया गया जो कि ‘ह्विटले परिषद्’ (Whitley Council) कहलायी । अन्य देशों ने भी इस विधि का प्रयोग किया ।
ह्विटले परिषद्:
‘ह्विटले परिषद्’ क्या है इसकी पुष्टि एल. डी. ह्वाइट के इस कथन से होती है- ”वर्तमान पीढ़ी में लोक सेवा में जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है वह सम्भवत: ह्विटले परिषदों की स्थापना ही है । इन निकायों में सरकारी पक्ष तथा कर्मचारी पक्ष के प्रतिनिधि समान संख्या में होते हैं तथा ये निकाय अनेक विवादास्पद समस्याओं के समाधान तक समझौता वार्ता हेतु कर्मचारियों के विचारों तथा उनकी आलोचनाओं को प्रस्तुत करने वाले मूल्यवान अभिकरण सिद्ध हुए हैं ।”
ह्विटले परिषदों का संगठन (Organization of Whitley Councils):
ह्विटले परिषदों का त्रिस्तरीय संगठन अग्रवत् है:
(1) राष्ट्रीय परिषद्,
(2) विभागीय परिषदें,
(3) जिला या क्षेत्रीय समितियाँ ।
(1) राष्ट्रीय परिषद् (National Council):
राष्ट्रीय परिषद् के कुल 54 सदस्यों में आधे सदस्य सरकार के तथा आधे कर्मचारी संघों के होते हैं । यह परिषद् कर्मचारियों के वेतन, पदवृद्धि व अन्य सेवा-शर्तों आदि के सम्बन्ध में विचार करने हेतु विभिन्न समितियाँ नियुक्त करती है इन समितियों को किन्हीं विशेषाधिकारों के प्रत्यायोजन (Delegation) का भी अधिकार प्राप्त होता है ।
राष्ट्रीय परिषद् में मददान व्यक्तिगत रूप में नहीं वरन् गुटों (सरकारी व कर्मचारी गुट) के रूप में होता है । वोट द्वारा निर्णय बहुत कम होते हैं अधिकांश निर्णय विचार-विमर्श के द्वारा लिये जाते हैं । निर्णय दोनों पक्षों की सहमति से लिये जाते हैं ।
(2) विभागीय परिषदें (Departmental Councils):
विशुद्ध विभागीय समस्याओं के लिए विभागीय परिषदें होती हैं । इसमें भी दोनों पक्षों के आधे-आधे सदस्य होते हैं । बड़े विभागों में एक से अधिक विभागीय परिषदें हो सकती हैं । सरकारी पक्ष के सदस्यों की नियुक्ति मन्त्री या विभागाध्यक्ष द्वारा की जाती है ।
विभागीय परिषद् के कार्य लगभग राष्ट्रीय परिषद् के कार्यों के समान होते हैं । राष्ट्रीय परिषद् या विभागीय परिषद् के क्षेत्र एक-दूसरे से पृथक् हैं । विभागीय परिषदें अपना कार्य स्थायी तथा तदर्थ (Adhoc) समितियों के माध्यम से कराती हैं । इसमें भी निर्णय दोनों पक्षों की सहमति से लिये जाते हैं ।
(3) जिला अथवा क्षेत्रीय समितियाँ (District or Regional Committee):
ये समितियाँ सबसे निचले स्तर पर होती हैं । इनके क्षेत्राधिकार में स्थानीय समस्याएँ आती हैं । अपने क्षेत्राधिकार में इनकी स्थिति भी अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है ।
ह्विटले परिषदों के कार्य (Functions of Whitley Councils):
ह्विटले परिषदों द्वारा निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते हैं:
(i) कर्मचारियों में उच्चतर शिक्षा को प्रोत्साहित करना ।
(ii) सेवा की दशाओं पर विचार-विमर्श के बाद एक सामान्य सिद्धान्त निर्धारित करना ।
(iii) संगठन में सुधार लाने के उद्देश्य से कर्मचारियों के अनुभवों का उपयोग करना ।
(iv) भर्ती, कार्य के घण्टे, पदोन्नति अनुशासन आदि के सम्बन्ध में सामान्य सिद्धान्तों का निर्धारण ।
(v) लोक सेवकों की नौकरी से सम्बन्धित विधि पर अपने सुझाव प्रस्तुत करना ।
(vi) सेवाओं में कार्यकुशलता लाने के लिए एवं कर्मचारियों के कल्याण हेतु सेवायोजकों एवं कर्मचारियों के मध्य सहयोग की स्थापना करना ।