Hadappa nivasiyon ke dharam aur sanskriti ki parakh kijiye
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परिवार
परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई थी. परिवार का रूप संयुक्त था या एकाकी इस विषय में हमें जानकारी नहीं है. परिवार में पुरुष की प्रधानता थी या स्त्री की यानी परिवार पितृसत्तात्मक था या मातृसत्तात्मक इस विषय में भी विद्वानों में मतभेद है. चूँकि मातृसत्तात्मक समाज प्राक्-आर्य सभ्यता में पाए जाते हैं इसलिए अधिकतर विद्वानों का यह विचार है कि सिन्धु-समाज मातृसत्तात्मक ही था, जिसमें औरतों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया था. खुदाइयों में प्राप्त बड़ी संख्या में स्त्री-मूर्तियों को देखने से भी मातृसत्तात्मक समाज के होने का संकेत मिलता है.
सामाजिक वर्गीकरण
सिन्धु घाटी का समाज कितने वर्गों में विभक्त था इसके विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं है. कुछ विद्वानों ने सिन्धु सभ्यता से प्राप्त दो प्रकार के भवनों के आधार पर अनुमान लगाया है कि वहाँ का समाज उच्च वर्ग एवं निम्न वर्ग में विभक्त था परन्तु चूँकि प्राचीन सभ्यताओं, सुमेर, मिस्र आदि में समाज मुख्यतः तीन वर्गों में बंटा हुआ था, इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हड़प्पा सभ्यता का समाज भी मुख्यतः तीन वर्गों में बंटा होगा. प्रथम वर्ग में शासक, योद्धा, पुरोहित इत्यादि होंगे. दूसरा वर्ग व्यापारियों, लिपिकों एवं अन्य कुशल कारीगरों का रहा होगा. तीसरे वर्ग में किसान, मजदूर एवं अन्य श्रमजीवी रहे होंगे. अन्य सामाजिक संस्थाओं, जैसे – विवाह का प्रचलन था या नहीं, इसकी भी जानकारी हमें प्राप्त नहीं है.
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हड़प्पावासी के धर्म और संस्कृति:
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हड़प्पावासी के धर्म और संस्कृति:
• कई सिद्धांतों ने प्रस्तावित किया कि हड़प्पाओं का धर्म हिंदुओं का विरोध था।
• उन्होंने जो प्रमाण दिखाए वे एक देवी माँ की पूजा, साँपों की पूजा, प्रकृति आदि थे।
• हड़प्पावासी एक मुहर की पूजा करते थे जो एक पुरुष देवता की थी।
• उन्होंने उसे "पशुपति महादेव" कहा। जिसे भगवान शिव का एक प्रोटो रूप माना जाता था।
• हड़प्पावासियों ने लिंग और फीलस की पूजा की थी।
• हड़प्पा की मुहरों में से एक स्वस्तिक चिन्ह के साथ मिली थी जिसका बाद में हिंदू और जैन धर्म में पालन किया गया था।
• इतिहासकारों ने कालीबंगन में हड़प्पा वासियों द्वारा अग्नि की पूजा को भी पाया।