Hindi, asked by DhwaniDhanuka, 4 months ago

हज्जन माँ एक पलंग पर दुपट्टे से मुँह ढाँके सो रही थीं। उन पर से जो भेड़ें दौड़ी तो न जाने वह सपने में
किन महलों की सैर कर रही थीं, दुपट्टे में उलझी हुई 'मारो-मारो' चीखने लगीं। इतने में भेड़ें सूप को भूलकर
तरकारीवाली की टोकरी पर टूट पड़ी। वह दालान में बैठी मटर की फलियाँ तोल-मोल कर रसोइए को दे रही
थी। वह अपनी तरकारी का बचाव करने के लिए सीना तान कर उठ गई। आपने कभी भेड़ों को मारा होगा,
तो अच्छी तरह देखा होगा कि बस, ऐसा लगता है जैसे रुई के तकिए को कूट रहे हों। भेड़ को चोट ही नहीं
लगती। बिलकुल यह समझकर कि आप उससे मज़ाक कर रहे हैं। वह आप ही पर चढ़ बैठेगी। ज़रा-सी देर
में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में झोंक दी।
(क) सब्जीवाले की मटर फली कौन खा गई?
(ख) हज्जन की माँ किससे मुँह ढाँके सो रही थी?
(ग) सूप में क्या था?
(घ) रसोइए को क्या तौलकर दी जा रही थी?
(ङ) 'तरकारी वाली' शब्द में प्रत्यय है?​

Answers

Answered by prajapatimayank702
0

Answer:

b answersssssssssssss

Similar questions