हजारी प्रसाद द्विवेदी की दो रचनाएं भाषा शैली व साहित्य में स्थान लिखिए
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हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएँ
सम्पादित रचनाएँ- 'नाथ सिद्धों की बानियाँ', 'पृथ्वीराज रासो'।
उपन्यास - बाणभट्ट की आत्मकथा, "चारुचन्द्र लेख' 'पुनर्नवा', 'अनामदास का पोथा'।
आलोचनात्मक ग्रन्थ- कबीर, सूर साहित्य, हिन्दी साहित्य की भूमिका, नाथ सम्प्रदाय, हिन्दी साहित्य का आदिकाल,
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कलपता (शिरीष के फूल और अन्य निबंध): शिरीष के फूल बारहवीं कक्षा के लिए एनसीईआरटी की हिंदी पुस्तक का हिस्सा है। नखून क्यों बढ़ते हैं (नाखून क्यों बढ़ते हैं) अशोक के फूल। कूटज।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) एक हिन्दी उपन्यासकार, साहित्यिक इतिहासकार, निबंधकार, आलोचक और विद्वान थे।
- उन्होंने कई उपन्यास, निबंधों के संग्रह, भारत के मध्ययुगीन धार्मिक आंदोलनों पर ऐतिहासिक शोध विशेष रूप से कबीर और नाथ संप्रदाय, और हिंदी साहित्य की ऐतिहासिक रूपरेखा लिखी।
- संस्कृत, पाली और प्राकृत और आधुनिक भारतीय भाषाओं के पारंपरिक ज्ञान में डूबे हुए, द्विवेदी को अतीत और वर्तमान के बीच महान सेतु निर्माता बनना तय था।
- संस्कृत के एक छात्र के रूप में, शास्त्रों में डूबे हुए, उन्होंने साहित्य-शास्त्र को एक नया मूल्यांकन दिया और उन्हें भारतीय साहित्य की पाठ परंपरा पर एक महान टिप्पणीकार के रूप में माना जा सकता है।
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